AQI Lung Disease : एक्यूआइ और फेफड़ों की बीमारी में सीधा संबंध साबित नहीं : केंद्र

AQI Lung Disease

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केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) और फेफड़ों (AQI Lung Disease) की बीमारियों के बीच कोई सीधा, निर्णायक संबंध साबित करने वाले आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

हालांकि, राज्यसभा में पर्यावरण राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने बताया कि सरकार प्रदूषण प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जागरूकता और स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों पर प्रमुख रूप से काम कर रही है।

भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रश्न उठाया था कि क्या एनसीआर क्षेत्र में खतरनाक स्तर के एक्यूआइ (AQI Lung Disease) के लंबे संपर्क से फेफड़ों में फाइब्रोसिस और स्थायी नुकसान देखने में आया है? साथ ही यह भी पूछा कि क्या एनसीआर के लोगों में फेफड़ों की लचक उन शहरों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत तक घट गई है, जहां वायु गुणवत्ता बेहतर है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस संदर्भ में कोई वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित निर्णायक अध्ययन सामने नहीं आया है। हालांकि, उन्होंने माना कि वायु प्रदूषण श्वसन प्रभावित लोगों के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है और इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी और एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार वायु प्रदूषण संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार सामग्री अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार कर चुकी है।

वायु प्रदूषण बीमारी (Air Pollution Health) से निपटने के लिए चिकित्सा अधिकारियों, नर्सों, नोडल अधिकारियों, निगरानी केंद्रों, आशा कार्यकर्ताओं और यातायात पुलिस को विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रदान किए जा रहे हैं। मंत्री ने बताया कि ये सभी ऐसे लोग हैं जो प्रदूषण के ज्यादा संपर्क में आते हैं।

कीर्तिवर्धन सिंह ने उज्ज्वला योजना और स्वच्छ भारत मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि स्वच्छ ईंधन और साफ वातावरण नागरिकों के स्वास्थ्य सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार वायु गुणवत्ता सुधारने और प्रदूषण के प्रभावों को कम करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में और व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन जरूरी होंगे, ताकि सरकारी नीति (Government Statement) और स्वास्थ्य दिशानिर्देशों को अधिक ठोस आधार मिल सके।

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