Opposition Objection के बीच चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में हुई नियुक्तियां |

Opposition Objection के बीच चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में हुई नियुक्तियां

Appointments made in Chandulal Chandrakar Medical College amid Opposition Objection

Opposition Objection

अधिग्रहण पूरा, सरकार ने डीन-ओएसडी और अधीक्षक की कर दी है पोस्टिंग

रायपुर/भिलाई,नवप्रदेश। Opposition Objection : राजनीतिक उठा-पटक और बेशुमार बयानबाजी के बाद आखिर दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज सरकार की हो गई। राज्य सरकार ने राजपत्र में अधिग्रहण की अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज और संबद्ध अस्पताल के संचालन के लिए डीन, विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक की नियुक्तियां भी कर दी गई है।

पहली बार हुआ ऐसा

छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार ने किसी निजी शिक्षा संस्थान का अधिग्रहण किया हो। राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग भी सक्रिय हुआ। विभाग के अपर सचिव राजीव अहिरे ने शाम तक कॉलेज संचालन के लिए जरूरी अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक और सिकलसेल संस्थान के महानिदेशक डॉ. पीके पात्रा को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का पहला डीन बनाया गया है। डॉ. पात्रा के पास पुरानी जिम्मेदारियां भी बनी रहेंगी। दुर्ग की अपर कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना को मेडिकल कॉलेज का ओएसडी नियुक्त किया गया है। वहीं रायपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. निर्मल वर्मा को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल का अधीक्षक बनाया गया है। सरकार का दावा है कि जल्दी ही कॉलेज की पूरी व्यवस्था सामान्य हो जाएगी।

विवादास्पद अधिग्रहण मुद्दा

दुर्ग जिले में संचालित निजी मेडिकल कालेज, चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल मेडिकल कालेज को अब राज्‍य सरकार संचालित करेगी, लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था। इस कॉलेज के अधिग्रहण को लेकर विपक्ष ने भारी विवाद (Opposition Objection) किया था। विपक्ष ने यहां तक ​​आरोप लगाया था कि CM भूपेश बघेल इस अधिग्रहण से अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचा रहे हैं।

पूर्व CM ने लगाया था यह आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में कहा था, सरकार जिस कॉलेज के अधिग्रहण के लिए जिद पर अड़ी है उस पर मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। 2017 से उसकी मान्यता खत्म की जा चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया, राज्य सरकार छात्रों की आड़ लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधकों को लाभ पहुंचा रही है।

विरोध पर उतरे राष्ट्रीय स्तर के मंत्री

मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण की घोषणा होते ही भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के मंत्री तक विरोध (Opposition Objection) पर उतर आई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया और पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों ने कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आरोप लगाया था। सिंधिया ने कहा था, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए, वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा लगाए गए थे।

घोर विरोध के बावजूद राज्यपाल ने किया हस्तक्षेप

चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता 2018 में ही रद्द हो चुकी है। इसकी वजह से इसमें 2017 बैच में दाखिला लिए हुए विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया। कॉलेज प्रबंधन पर 143 करोड़ रुपए की देनदारी का भी विवाद था। इसकी वजह से इंडियन बैंक ने इसकी संपत्ति को सीज कर दिया था। फरवरी 2021 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके अधिग्रहण की घोषणा की थी।

बजट में भी उसका प्रावधान हुआ, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। यहां के छात्र अपने भविष्य को लेकर परेशान थे। उन्होंने कई बार राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात की। राज्यपाल ने कई बार मुख्यमंत्री से इस समस्या के समाधान के लिए बात की थी। मानसून सत्र से पहले 13 जुलाई को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच इस पर चर्चा हुई। यही वजह है कि भाजपा के विरोध के बावजूद राज्यपाल ने अधिग्रहण कानून पर हस्ताक्षर कर दिया था।

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