Anti Naxal Operation : बसवराजु समेत 27 नक्सली ढेर…शवों को एयरलिफ्ट कर ले जाया जा रहा जिला मुख्यालय…जवानों का जश्न–एक नई कहानी…

नारायणपुर, 22 मई 2025| Anti Naxal Operation : छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में इतिहास रच दिया गया है। नक्सली नेटवर्क के सबसे बड़े मास्टरमाइंड बसवराजु को ढेर करने के बाद अबूझमाड़ अब ‘माओवादी कब्रगाह’ के रूप में दर्ज हो चुका है। सोमवार की सुबह से शुरू हुए इस भीषण एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने जबरदस्त साहस दिखाया और 27 खूंखार नक्सलियों का अंत कर दिया। इस बड़ी कार्रवाई के बाद जवानों ने जश्न मनाकर अपनी जीत का इजहार किया।
शवों को किया गया एयरलिफ्ट, जिला मुख्यालय बना ऑपरेशन का कंट्रोल पॉइंट
एनकाउंटर के बाद मारे गए नक्सलियों के शवों को हेलीकॉप्टर से नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया गया। यहां आला अधिकारी मौजूद हैं और ऑपरेशन से जुड़ी पूरी जानकारी जल्द ही प्रेस को साझा की (Anti Naxal Operation)जाएगी। ग्राउंड जीरो से आया एक वीडियो सुरक्षाबलों की जीत और साहस की कहानी बयां कर रहा है।
कैसे हुआ ऑपरेशन: रणनीति, इंटेलिजेंस और लोकल ताकत का मिला-बैठा असर
इस ऑपरेशन की जड़ें 19 मई को मिली पुख्ता खुफिया जानकारी में हैं, जब माओवादियों के टॉप लीडर्स की मौजूदगी की खबर पुख्ता हुई। बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा के सीमावर्ती जंगलों में डीआरजी (District Reserve Guard) की टीमें घेराबंदी में जुट गईं। 21 मई की सुबह जैसे ही नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की, सुरक्षाबलों ने जवाब में चलाया ‘आयरन पावर’ – और 27 नक्सली मौके पर ढेर कर दिए।
बसवराजु का खात्मा: नक्सली नेटवर्क की रीढ़ टूटी
बसवराजु उर्फ नंबाला केशवराव, माओवादी संगठन का सैन्य और वैचारिक प्रमुख था। पिछले 20 सालों से वह नक्सली नेटवर्क का मास्टरमाइंड बना हुआ (Anti Naxal Operation)था। उसकी मौत सिर्फ एक बड़ी खबर नहीं, बल्कि माओवादी नेटवर्क के लिए झटका है, जिसकी गूंज अब जंगलों से शहरों तक सुनाई दे रही है।
मुठभेड़ दूसरे दिन भी जारी, 5 और नक्सली मारे गए
गंगालूर थाना क्षेत्र के पीडिया जंगलों में अगले दिन यानी 22 मई को भी ऑपरेशन जारी रहा। सुरक्षाबलों ने पांच और नक्सलियों को ढेर किया। इस मुठभेड़ में दो जवान घायल हुए हैं, जिनका इलाज जारी है और वे खतरे से बाहर हैं।
🇮🇳 दो जवान शहीद, वीरगति को सलाम
इस ऑपरेशन में दो वीर जवान शहीद हो गए। बीजापुर के डीआरजी जवान रमेश हेमला और नारायणपुर के खोटलूराम कोर्राम ने जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा की खातिर अपना सर्वोच्च बलिदान (Anti Naxal Operation)दिया। उनके पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
क्या है DRG – जंगल का असली योद्धा
District Reserve Guard (DRG) छत्तीसगढ़ सरकार की एक खास फोर्स है, जिसमें स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर शामिल किया जाता है। इन्हीं लोकल युवाओं की समझ और नक्सल क्षेत्र की गहरी जानकारी ऑपरेशन की सबसे बड़ी ताकत बनती है।
इन्हें जंगल के हर रास्ते, नक्सलियों की हर चाल की गहरी समझ होती है।
कई जवान पूर्व नक्सली रह चुके होते हैं जो अब माओवादी रणनीति को मात देने में माहिर हैं।
ये 3-4 दिन तक लगातार जंगलों में ऑपरेशन चला सकते हैं — यही इन्हें बाकी बलों से अलग बनाता है।
गुरिल्ला युद्ध के मास्टर – उन्हीं की भाषा में जवाब
डीआरजी के जवान नक्सलियों की गुरिल्ला रणनीति का जवाब उन्हीं की शैली में देते हैं। उनकी ट्रेनिंग लोकल भाषा, भौगोलिक समझ और युद्ध कौशल पर आधारित होती है। यही कारण है कि हर बड़ा ऑपरेशन जब सफल होता है, तो उसके पीछे डीआरजी की सटीक प्लानिंग और अमिट साहस होता है।
निष्कर्ष: यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, माओवाद पर निर्णायक प्रहार है
अबूझमाड़ का यह ऑपरेशन माओवादी आतंक पर सबसे बड़ा वार माना जा रहा है। बसवराजु की मौत के बाद नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। और इसके पीछे जो असली ताकत है – वह है डीआरजी की लोकल समझ, बहादुरी और जमीनी स्तर की रणनीति।