संपादकीय: संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा
Constitution Killing Day: देश में आपातकाल लागू होने के पचास साल बाद अब केन्द्र सरकार ने 25 जून की तिथि को संविधान हत्या दिवस घोषित कर दिया है। इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। गौरतलब है कि 25 जून 1975 तात्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी।
आपातकाल के दौरान देश के नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी। इस दौरान सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूंस दिया गया था। उस समय एक नया कानून मीसा लागू किया गया था।
जिसके तहत गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को न तो वकील करने का न दलील देने का और न ही कहीं अपील करने का कोई अधिकार नहीं था। लाखों मीसाबंदियों के साथ जेलों में भी अत्याचार किया गया था। यह आपातकाल देश के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है।
कांग्रेस पार्टी को देश में आपातकाल थोपने के लिए इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। आपातकाल हटने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उत्तरप्रदेश की रायबरेली सीट से चुनाव हार गई थी।
सभी पार्टियों ने जेल में रहकर ही जनता पार्टी का गठन किया था और यह नई जनता पार्टी सत्ता पर काबिज हुई थी। आपातकाल को लेकर लोकसभा के इस सत्र में राष्ट्र्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष ने बयान दिया था और आपातकाल के दौरान लोगों को जो अमानवीय कष्ट झेलना पड़ा था।
उसका विस्तार से वर्णन किया था। उसी समय यह लगा था कि केन्द्र सरकार आपातकाल को लेकर कोई घोषणा कर सकती है। आखिरकार सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विट करते हुए लिखा है कि 25 जून 1975 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही वाली मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था।
इसीलिए सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय लिया है। सरकार की इस घोषणा का कांग्रेस पार्टी ने जमकर विरोध किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 10 सालों से देश में अप्रत्यक्ष आपातकाल लगाए हुए है।
4 जून को देश की जनता ने उन्हें नैतिक रूप से हार का रास्ता दिखा दिया है। इसलिए 4 जून को मोदी मुक्त दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। आईएनडीआईए में शामिल तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं ने भी संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा का विरोध किया है किन्तु यह सरकार का निर्णय है जो लागू हो गया है।
इससे कांग्रेस को झटका लगना स्वाभाविक है क्योंकि इन दिनों कांग्रेस के नेता संविधान बचाव मुहिम चला रहे हैं। ऐसे में उनकी पीड़ा यहां स्वाभाविक है। जहां तक संविधान हत्या दिवस मनाने के औचित्य का प्रश्न है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है आने वाली पीढ़ी को यह पता होना चाहिए कि देश में एक बार आपातकाल लगा था और इस दौरान लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे।
नई पीढ़ी जिसे आपातकाल का काला सच पता नहीं है। उन्हें इसका ज्ञान होना ही चाहिए। ताकि भविष्य में कभी कोई सरकार तानाशाही रवैया अपनाने और देश में आपातकाल लागू करने का दुस्साहस करें तो जनता उसका प्रबल विरोधकर सके।