संपादकीय: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा

संपादकीय: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा

Announcement of New Delhi Assembly elections

Announcement of New Delhi Assembly elections

Announcement of New Delhi Assembly elections: चुनाव आयोग ने नई दिल्ली विधाानसभा चुनाव तारीख का ऐलान कर दिया है। 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किये जाएंगे। नई दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही वहां राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी दंगल जीतने के लिए दांव पेंच अजामाने श्ुारू कर दिये है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार का चुनाव आसान नहीं है। पिछले एक दशक के शासनकाल में उनकी सरकार कई मोर्चो पर विफल रही है। नतीजतन उन्हें एन्टीइंनकमबेन्सी का डर सता रहा है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आम आदमी पार्टी की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने में जुटी हुई है। जबकि आम आदमी पार्टी अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है।

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान यमुना को साफ करने का वादा किया था लेकिन दस सालों के शासन के बावजूद वे यमुना नदी को साफ नहीं करा पाए। जबकि यमुना की सफाई के नाम पर करोड़ों रूपये फूंक दिये गये है। यमुना की सफाई को भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही बड़ा मुद्दा बना दिया है।

इसी तरह नई दिल्ली में हर ठंड के मौसम में प्रदूषण की विकराल समस्या, गर्मी के मौसम में भीषण पेयजल संकट की स्थिति तथा बरसात के मौसम में नई दिल्ली में उत्पन्न होने वाले बाढ़ के हालात को लेकर भाजपा और कांग्रेस आम आदमी पार्टी को घेर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास शीशमहल को लेकर भी आम आदमी पार्टी को निशाने पर लिया जा रहा है।

नई दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले सहित अन्य घोटालों को लेकर भी आम आदमी पार्टी आरोपों के घेेरे में है। जाहिर है ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा साबित होंगे। अरविंद केजरीवाल यह बात भलीभांति समझ रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से बहुत पहले ही चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने खुद नई दिल्ली विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सघन जनसंपर्क अभियान चलाया और मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली लोकलुभावन घोषणाओं की झड़ी लगा दी।

यही नहीं बल्कि सबसे पहले उन्होंने ही विधानसभा की सभी 70 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी और ये सभी प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी तैयारी करने में जुट गये हैं। इस तरह चुनावी तैयारी में तो आम आदमी पार्टी ने बाजी मार ली है। जबकि भाजपा और कांग्रेस के अभी तक सभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं। बेशक आम आदमी पार्टी ने चुनावी तैयारी में भाजपा और कांग्रेस को पछाड़ दिया है लेकिन अब आगे की राह उसके लिए कठिन लग रही है।

इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार नई दिल्ली में त्रिकोणीय संघर्ष से आसार नजर आ रहे हैं। पिछले दो विधानसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस इस चुनाव को पूरी गंभीरता से लड़ रही है जिससे भाजपा विरोधी वोटों के बंटने का खतरा पैदा हो गया है। यही अरविंद केजरीवाल के लिए परेशानी का सबसे बड़ा सबब है।

गौरतलब है कि पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पहल की गई थी। और पिछले लेाकसभा चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव भी एक साथ मिलकर लडऩे का मन बनाया गया था लेकिन दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी हाईकमान पर दबाव बना दिया की कांग्रेस को अलग होकर चुनाव लडऩा चाहिए। क्योंकि लोकसभा चुनाव में एक साथ चुनाव लडऩे के बावजूद भाजपा ने सभी सात सीटें जीत ली थी।

इसके बाद कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठजोड़ न करके अकेले अपने दम पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी हो गई है। कांग्रेस की पहली जारी होने के बाद से ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई थी। जिसके चलते आम आदमी पार्टी ने तीखे तेवर दिखाते हुए कांग्रेस को आईएनडीआईए से अलग करने की मुहिम चलाने का भी ऐलान कर दिया था।

इसी से स्पष्ट है कि इस बार नई दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। ऐसे में चुनावी ऊंट किस करवट बैैठेगा इस बारे में फिलहाल कुछ भी कह पाना मुश्किल है। रही बात भाजपा की तो वह पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को नई दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 52 सीटों पर बढ़त मिली थी। जबकि आम आदमी पार्टी को दस सीटों पर और कांग्रेस को 8 सीटों पर बढ़त मिली थी।

यदि भाजपा विधानसभा चुनाव में भी अपनी यही स्थिति बरकरार रखने में सफल हो जाती है तो भाजपा अपनी सरकार बना सकती है। वैसे भाजपा ने भी नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दी है। भाजपा का माइन्स प्वाइंट यह है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा अभी तक तय नहीं किया है।

ऐसे में भाजपा के लिए भी चुनौती आसान नहीं ंहै। बहरहाल अभी तो चुनावों की तारीखों का ऐलान ही हुआ है। अब आगे तीनों ही पार्टियां क्या रणनीति बनाती है और इस चुनावी दंगल को क्या रूप देती है यह देखना दिलचस्प होगा।

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