Ankita Bhandari Verdict :  न्याय को दो साल,…अंकिता हत्याकांड में तीनों दोषी करार…

Ankita Bhandari Verdict :  न्याय को दो साल,…अंकिता हत्याकांड में तीनों दोषी करार…

कोटद्वार/पौड़ी। 30 मई। Ankita Bhandari Verdict :  एक तारीख जिसने उत्तराखंड की शांत वादियों में डर और आक्रोश भर दिया। उसी दिन अंकिता भंडारी, एक 19 वर्षीय युवती, जो अपनी मेहनत से जीवन संवार रही थी, विलासिता, सत्ता और पितृसत्ता की साजिश का शिकार बन गई।

और अब, दो साल आठ महीने की लंबी लड़ाई के बाद, अदालत ने आखिरकार फैसला सुना दिया। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया है।

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 47 गवाह, SIT ने 500 पन्नों की चार्जशीट और देशभर के लोगों ने हजारों पोस्टर और कैंडल मार्च से यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि अंकिता को भुलाया नहीं जाएगा।

अंकिता कौन थी — एक रिसेप्शनिस्ट नहीं, एक स्वाभिमानी लड़की

यमकेश्वर स्थित वनंत्रा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर कार्यरत अंकिता को शायद अंदाज़ा नहीं था कि उसका विरोध, उसकी हिम्मत और उसकी असहमति — उसकी जान ले (Ankita Bhandari Verdict)लेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलकित आर्य उस पर मेहमानों के साथ “ग़लत व्यवहार” की डिमांड के लिए दबाव बना रहा था, जिसका अंकिता ने विरोध किया। यही उसकी हत्या की वजह बनी।

न्याय की प्रक्रिया – धीमी लेकिन निर्णायक

इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन हुआ, जिसने तमाम साक्ष्य जुटाए।

कोर्ट में पेश गवाहों की संख्या और आरोपी की राजनीतिक पृष्ठभूमि ने इसे एक हाई-प्रोफाइल केस बना दिया था।

भले ही दोषियों को सजा अभी थोड़ी देर में सुनाई (Ankita Bhandari Verdict)जाएगी, लेकिन इस फैसले ने एक संकेत दे दिया है — “देर है, पर अंधेर नहीं।”

https://www.youtube.com/watch?v=cMKmzIEJR7w

आक्रोश जो सड़क पर था, अब अदालत की मेज़ पर है

घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश था। जगह-जगह प्रदर्शन हुए। सवाल सिर्फ हत्या का नहीं था, सवाल था—

क्या महिलाओं की “ना” का मतलब कोई समझता है?

क्या सत्ता में बैठे लोगों के बच्चों को कानून का डर होता है?

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