Ambala Andhvishwas Case : मां के अंधविश्वास की कीमत चुका रहा बेटा, जिंदा कंकाल बना 22 वर्षीय प्रिंस

Ambala Andhvishwas Case

Ambala Andhvishwas Case

अंबाला शहर वार्ड नंबर 10 के नदी मोहल्ला में अंधविश्वास की बेड़ियों में ममता और इंसानियत सिसक रही हैं। यहां 22 साल का युवक प्रिंस चार साल से एक कमरे में (Ambala Andhvishwas Case) के चलते जिंदा कंकाल बनकर बंद है।

उसके शरीर में खून लगभग खत्म हो चुका है। मांस नाममात्र बचा है, हड्डियों का ढांचा है और सिर्फ सांसें चल रही हैं। जिंदा है, लेकिन मौत बिल्कुल करीब खड़ी है। यह तस्वीर अंधविश्वास, अनपढ़ता और सामाजिक उदासीनता की भयावह सच्चाई को सामने लाती है।

चार वर्षों से पड़े प्रिंस के शरीर में कीड़े चल रहे हैं। वह नग्न अवस्था में पड़ा रहता है। शरीर पर केवल एक गंदी रजाई डाल दी जाती है। गर्दन बिस्तर से नीचे लटकी रहती है। पास में दो साल के बच्चों को पानी पिलाने वाली छोटी बोतल रखी जाती है। यह (Ambala Andhvishwas Case) इंसानियत को झकझोर देने वाला है।

अंधविश्वास ने घर में डाला डेरा

प्रिंस चार साल पहले बीमार हुआ था। परिजनों ने डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय झाड़-फूंक और अंधविश्वास का रास्ता चुना। पिता सतीश कुमार कपड़ा मार्केट में काम करते हैं और मां शोभा घरों में काम करती हैं। घर में छह साल की छोटी बहन है, जबकि बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। प्रिंस आवाज सुनता है, लेकिन प्रतिक्रिया देने में असमर्थ है।

चाचा की मौत से टूटा प्रिंस

प्रिंस आठवीं कक्षा पास है और पहले एक दुकान पर काम करता था। चार साल पहले चाचा की मौत के बाद वह मानसिक रूप से टूट गया। इसी दौरान यह (Ambala Andhvishwas Case) धीरे-धीरे भयावह रूप लेता चला गया।

इस अमानवीय सच्चाई का खुलासा तब हुआ जब वंदे मातरम् दल को सूचना मिली। 23 दिसंबर को टीम घर पहुंची तो मां ने अंदर जाने से रोक दिया। काफी समझाने के बाद मोबाइल बाहर रखवाकर टीम को अंदर जाने दिया गया। टीम ने लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन मां ने इनकार कर दिया।

24 दिसंबर को एंबुलेंस लेकर टीम पहुंची तो स्वजन घर पर ताला लगाकर चले गए। संपर्क करने पर मां शोभा ने कहा कि उसका दिल नहीं मानता प्रिंस को अपने से दूर भेजने को। बाद में टीम ने पड़ोसियों की छत से वीडियो क्लिप बनाकर पुलिस और प्रशासन को भेजी। प्रशासन के अनुसार शुक्रवार को युवक का रेस्क्यू किया जाएगा।