Amazing : शिक्षक के निधन के चौथे दिन जारी हो गया अनुकंपा नियुक्ति, देखें आदेश कॉपी…
रायपुर/नवप्रदेश। Amazing : शिक्षक की मौत के महज चार दिन बाद अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जारी हो जाने से, शिक्षा विभाग की चारों तरफ तारीफ हो रही है। यह मिरेक्क्ल महासमुंद के एक मृतक शिक्षक के साथ हुआ है।
दसअसल महासमुंद में एक दिवंगत शिक्षक (Amazing) के निधन के सिर्फ चार दिन के भीतर ही शिक्षा विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। जबकि अमूमन देखा जाता है कि, अनुकंपा नियुक्ति की आस में कोर्ट-कचहरी के चक्कर से लेकर नियम-कानून की पेचदगियों में उलझकर रह जाते है। ऐसे में महासमुंद से एक निकला ये आदेश ना सिर्फ तारीफ बटोर रहा है, बल्कि शिक्षा विभाग को शाबशी भी दे रहा है।
सुस्त कामकाज की वजह हमेशा आलोचना झेलने वाले शिक्षा विभाग से जब ऐसे बुलेट रफ्तार में आदेश निकला तो हर किसी के लिए ये हैरान करने वाला आदेश बन गया। दरअसल शिक्षक श्यामलाल बारीक का निधन 26 मई गुरूवार को हुआ था। श्याम लाल बारीक शासकीय उच्चतर माध्मयमिक विद्यालय सालडीह महासमुंद में पदस्थ थे। शिक्षक के निधन पर विभाग ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए उनके निधन के चौथे दिन 30 जून को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया।
बेटे को सहायक शिक्षक के पद पर दिया अनुकंपा नियुक्ति
श्यामलाल बारिक बेटे निर्मल कुमार बारिक को सहायक शिक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश महासमुंद DEO ने जारी कर दिया है। दिवगंत शिक्षक के स्थान पर उनके बेटे निर्मल बारिक को महासमुंद के सरायपाली स्थित शासकीय प्राथमिक शाला जुनाडीह में पोस्टिंग दी गयी है। इस मामले में चौकाने वाली बात ये है कि अभी दिवगंत शिक्षक का दशकर्म भी खत्म नहीं हुआ है। दिवंगत शिक्षक का दशकर्म 4 जून 2022 को और क्रियाक्रम 5 जून 2022 को होना है।
राज्य सरकार ने दिए नियमों में थोड़ी छूट
शिक्षा विभाग (Amazing) का ये आदेश काफी ज्यादा तारीफ बटोर रहा है। आपको बता दें कि अनुकंपा नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने नियमों में थोड़ी छूट दी है। लिहाजा, बार-बार राज्य सरकार की तरफ से ये निर्देश जारी किया जाता रहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के लंबित प्रकरण निपटाये जाये। सबसे ज्यादा अनुकंपा नियुक्ति के लंबि प्रकरण शिक्षा विभाग में ही लंबित है। बार-बार रिमांडटर भेजने के बावजूद कई अधिकारी अनुकंपा नियुक्ति को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, ऐसे में महासमुंद के डीईओ का ये आदेश ना सिर्फ प्रदेश में मिसाल है, बल्कि ये संदेश भी देता है कि अधिकारी अगर चाहे तो बिना लेटलतीफी के लोगों का काम हो जाता है।