संपादकीय: आम बजट में राज्यों की उपेक्षा का आरोप

संपादकीय: आम बजट में राज्यों की उपेक्षा का आरोप

Allegation of neglect of states in the general budget

Allegation of neglect of states in the general budget

Allegation of neglect of states in the general budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए आम बजट को लेकर आईएनडीआई में शामिल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने अब केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इस बजट में राज्यों का हक मारे जाने और उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए विपक्षी पार्टियों ने संसद के भीतर और बाहर जमकर प्रदर्शन किया। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केन्द्रीय बजट को कुर्सी बचाव बजट करार देते हुए दावा किया है कि यह अन्य राज्यों की कीमत पर भाजपा सहयोगियों से खोखले वादे करती है।

उन्होंने यह भी कहा है कि यह आम बजट 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्र्रेस की घोषणा पत्र और पिछले बजटों की कॉपी पेस्ट वाला काम है। राहुल गांधी का यदि यह दावा है कि यह बजट कांग्रेस के घोषणा पत्र पर आधारित है तो कांग्रेस पार्टी को तो इसका स्वागत करना चाहिए।

बहरहाल विपक्ष के सभी नेताओं ने इस बजट की कड़ी निंदा की है। और इसे जन विरोधी बजट बताया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खडग़े ने आम बजट को लेकर केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है और कहा है कि इस बजट में गरीबों, किसानों और मध्यमवर्ग के लिए कुछ भी नहीं है।

वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस बजट में गैर भाजपा शासित राज्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस बजट में बंगाल की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए बजट की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी भी इस बजट से बुरी तरह नाराज हैं।

नई दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा है कि नई दिल्ली के लोग आयकर के रूप में 4 लाख करोड़ से ज्यादा का राजस्व केन्द्र सरकार को देते हंै लेकिन इस आम बजट में नई दिल्ली को एक रुपए भी नहीं मिला है। यह दिल्ली के बाशिंदों के साथ घोर अन्याय है। इसी तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपने राज्य की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए इस बजट की जमकर आलोचना की है।

विपक्षी नेताओं के इन आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बजट भाषण में सभी राज्यों के नाम का उल्लेख करना संभव नहीं होता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन राज्यों की अनदेखी की गई है। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी है कि वे इस मुद्दे पर उनसे बहस कर लें।

बजट को लेकर विपक्षी पार्टियों की सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को ज्यादा तवज्जों क्यों दी गई है। विपक्ष का मानना है कि केन्द्र सरकार ने जदयू और तेलगू देशम पार्टी की सरकारों को समर्थन की कीमत चुकाई है। और इसके लिए विपक्षी पार्टियों की राज्य सरकारों की उपेक्षा की गई है।

बजट को लेकर विपक्षी पार्टियों का यह आरोप कितना सही है और कितना राजनीति से प्रेरित है यह बात तो सदन में इस पर चर्चा के दौरान ही साफ हो पाएगी। विपक्ष का काम है कि बजट को लेकर वह सरकार पर सवालों की बौछार करें। और इस बजट में उसे जो भी विसंंगती नजर आ रही है। उसे दूर करने के लिए संसद में आवाज उठाएं।

ताकि वह विसंंगती दूर हो और बजट में सभी राज्यों को उनका वाजिब हक मिल सके। उम्मीद की जानी चाहिए कि बजट पर संसद में विपक्ष अपनी मांग प्रभावी रूप से रखेगा और बजट पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच सार्थक चर्चा हो पाएगी।

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