Agricultural Law Withdrawn : राकेश टिकैत की झुंझलाहट…
Agricultural Law Withdrawn : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रहित को देखते हुए तीन नए कृषि कानूनों को अचानक वापस लेने की घोषणा करके जहां एक ओर आंदोलनरत किसानों को प्रकाश पर्व के दिन एक बड़ी सौगात दी है वहीं दूसरी ओर उनकी इस घोषणा से राकेश टिकैत सहित कई नेताओं को गहरा झटका लगा है। दरअसल ये लोग आंदोलन को और लंबा खींचना चाहते थे ताकि इनकी फंडिंग जारी रहे और राजनीतिक फायदा भी इन्हें पहुंच पाए।
उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तक तो वे इस आंदोलन को हर हालत में खिंचना चाहते थे। ताकि इनकी राजनीतिक दुकानदारी चलती रहें। किन्तु पीएम मोदी ने अप्रत्याशित रूप से कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर इनके मंसूबो पर पानी फेर दिया। यही वजह है कि कथित किसान नेता राकेश टिकैत सहित उनके खास समर्थकों के चेहरों पर खुशी नजर नहीं आ रही है।
राकेश टिकैत तो अब झुंझलाने लगे है। मीडिया के साथ बातचीत के दौरान उनकी बाड़ी लैंगवेज बताती है कि इतने बड़े आंदोलन की अगवाई करने के बाद भी उन्हें अपनी मांगे मनवाने का श्रेय नहीं मिल पाया। यहीं उनकी सबसे बड़ी तकलीफ है। यही वजह है कि राकेश टिकैत अब पीएम मोदी की घोषणा पर भी भरोसा नहीं जता रहे हैं। उन्होंने बयान दिया है कि पीएम मोदी (Agricultural Law Return) ने यह बात करते हुए अपने शब्दों में जो मिठास घोली है वह शहद से भी ज्यादा मिट्ठी है। उनके कटाक्ष का आशय स्पष्ट है कि वे पीएम मोदी की एकतरफा घोषणा की बुरी तरह आहत है क्योंकि उनके खाते में क्रेडिट नहीं आ पाया।
अब वे इस आंदोलन को और आगे ले जाने के बात कर रहे है। उनका है कि एमएसपी पर भी कानून बनाया जाए और किसानों की अन्य समस्याओं का भी समानधान किया जाए। इस बारे में किसान संगठनों से चर्चा की जाए। जब तक संसद में यह कृषि कानून रद्द नहीं हो जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। राकेश टिकैत बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार किसानों के साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा करें। इसकी वजह यह है कि राकेश टिकैत चाहते है कि उनकी कुछ तो पूछ परख हो लेकिन केन्द्र सरकार उन्हें कोई तव्जों नहीं दे रही है।
किसानों की प्रमुख मांग मान (Agricultural Law Withdrawn) ली गई है और एमएसपी को मजबूत बनाने का भी पीएम मोदी ने वादा किया है। साथ ही किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए एक कमेटी बनाने का भी एलान किया है। ऐसी स्थिति में अब किसानों के आंदोलन का कोई औचित्य नहीं रह जाता इसके बाद भी अगर राकेश टिकैत आंदोलन को लंबा खिचने की हटधर्मिता दिखाएंगे तो निश्चित रूप से खता खाएंगे