Agni Disorders: अग्नि विकार के उपचार

Agni Disorders: अग्नि विकार के उपचार

Agni Disorders,

Agni Disorders: प्रवर्तिनी बटी-रोगी को एक गोली सुबह, एक गोली शाम, एक गोली दोपहर को से देने से कुछ ही दिनों में लाभ होने लगता है।

अनुपान के लिए इंद्रायन मूल,अमलतास का गूदा, सौंफ के पौधे की जड़ और काले तिल दो-दो भाग, गाजर के बीज, मूली के बीज, ककड़ी के बीज की गिरी, हंसराज बांस की गांठ, कपास मूल-सभी एक-एक भाग लेकर कूट-पीसकर 30 ग्राम मिश्रण को 16 गुना जल में पकाकर क्वाथ (काढ़ा) बनाएं।

चतर्थाशं भाग शेष रह जाने पर छानकर तीन बराबर मात्रा में दिन में तीन बार थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें। इस अनुपान से रजः प्रवर्तिनी की गोलियां सेवन करने से ऋतुस्राव नियमित होने लगता है।

Agni Disorders: एजुआदि बटी- अनार्तव में एलुआदि वटी की तीन गोलियां प्रतिदिन उष्ण जल से लेने पर बहुत लाभ होता है। गोलियों के बीच तीन-तीन घंटे का अंतराल रखना चाहिए।

– मण्डूर भस्म योग- शारीरिक रूप से निर्बल या रक्ताल्पता के  कारण ऋतुस्राव प्रारंभ नहीं हो पाने की अवस्था में 2 मिग्रा मण्डूर भस्म, त्रिफला चूर्ण 4 मिग्रा. ओर मधु मिलाकर जाएगा।

– नष्ट पुष्पान्तक रस- ऋतुस्राव के प्रारम्भ होने व किसी कारण से बन्द होने की स्थिति में बहुत गुणकारी औषधि है। प्रतिदिन तीन गोलियां गर्म जल से सेवन करने पर शीघ्र ही अनार्तव नष्ट होता है।

– बंगभस्म योग- डिम्बोकोष की क्षीणता होने पर बंगभस्म का योग बहुत लाभ पहुंचाता है। एक मिग्रा. बंगभस्म में 1 मिग्रा. एलुआ मिलाकर घोटकर मिश्रण बनाएं। प्रतिदिन तीन बार इस योग का सेवन करने से अनार्तव की विकृति नष्ट होती है।

Agni Disorders:प्रवर्तक क्वाथ- वायविडंग, भारंगी, इंद्रायण की जड़, बिनौले, सफेद बच, सोयबीन, मूली के बीज-प्रत्येक 3-3 ग्राम, पीपल, मरिच, सोंठ–एक-एक ग्राम, पुराना गुड़ 25 ग्राम और काले तिल 20 ग्राम लेकर कूट-पीसकर 200 ग्राम जल में क्वाथ बनाएं। 50 ग्राम शेष रह जाने पर छानकर सुबह और रात में इस्तेमाल करने ऋतुस्राव प्रारंभ हो जाता है।

यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से लिए गए हैं कृपया अपने डाक्टर से सलाह लेकर ही उपाय करें।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *