संपादकीय: बिहार के बाद अब पूरे देश में एसआईआर
 
                After Bihar, now SIR in the entire country
Editorial: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार में सफलता पूर्वक कराये गये एसआईआर के साथ अब पूरे देश में एसआईआर कराने की घोषणा कर दी है इसके दूसरे चरण में उत्तरप्रदेश, बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल सहित 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जो तीन माह में पूरी हो जाएगी। सबसे पहले उन राज्यों में एसआईआर कराया जाएगा जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस तरह दूसरे चरण के एसआईआर में पचास करोड़ से अधिक मतदाताओं की वोटरलिस्ट की सघन जांच की जाएगी और अपात्र मतदाताओं के नाम वोटरलिस्ट से हटाये जाएंगे। तथा पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया सफल रही है। वहां लगभग 65 लाख नाम काटे गये हैं।
जबकि लगभग 20 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े भी गये हैं। जिन अपात्र लोगों के नाम काटे गये हैं उनमें से किसी ने भी अपना नाम मतदाता सूची से हटाये जाने पर आपित्त दर्ज नहीं कराई है। इसका मतलब साफ है कि वे अपात्र थे। गौरतलब है कि बिहार में जब एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की गई थी तो विपक्षी पार्टियों ने इसकी जमकर मुखालफत की थी। लोकसभा में नेताप्रतिपक्ष राहुल गांधी तथा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एसआईआर के खिलाफ बिहार में 16 दिनों की वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी और वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा दिया था किन्तु उनकी यह कवायद व्यर्थ गई। बिहार में किसी भी मतदाता ने एसआईआर का विरोध नहीं किया बल्कि इसका समर्थन किया। नतीजतन महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा फ्लॉप शो साबित हुई।
इसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि राष्ट्रीय जनता दल ने वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे से किनारा कर लिया और अब तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एसआईआर का जिक्र भी नहीं करते हैं। वहीं दूसरी ओर वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा देने वाले राहुल गांधी ने तो बिहार से किनारा कर लिया है वे दोबारा लौट कर अभी तक बिहार नहीं गये हैं। जबकि वहां चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही है। यहां तक कि जब महागठबधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया तब भी राहुल गांधी बिहार नहीं गये। जाहिर है एसआईआर को लेकर बिहार में वोट चोरी का विपक्ष ने जो मुद्दा जोर शोर से उठाया था वह टांय-टांय फिस हो गया है।
अब जबकि चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने का एलान किया है तो एक बार फिर आईएनडीआईए में शामिल विपक्षी पार्टियों ने एसआईआर का विरोध करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध किया है और कहा कि एसआईआर के जरिए भारतीय जनता पार्टी चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर ऐसे वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाने की योजना बना रही है जो भाजपा के खिलाफ वोट देते हैं। कांग्रेस ने भी पूरे देश में एसआईआर कराये जाने का विरोध करना शुरू कर दिया है। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा है कि विपक्षी पार्टियां घुसपैठियों की समर्थक है। वे नहीं चाहती की घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हटाये जायें।
जबकि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह निर्णय दे दिया है कि चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर कराने की प्रक्रिया संवैधानिक है और इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसके बावजूद विपक्षी पार्टियां एसआईआर को लेकर विधवा विलाप कर रही है। इसका सबसे प्रबल विरोध बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी कर रही है क्योंकि बंगाल में ही सबसे ज्यादा बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये लंबे समय ये रह रहे हैं और उन्हें वोट बैंक बनाने के लिए ममता बनर्जी की सरकार ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रखी हैं।
उनके राशनकार्ड बन गये हैं और फर्जी मतदाता पहचान पत्र भी बन गये हैं। इन अवैध घुसपैठियों की संख्या बंगाल में लाखों की बताई जा रही है। यदि इन घुसपैठियों के नाम वोटरलिस्ट से हटा दिये जाएंगे तो ममता बनर्जी के लिए अगले साल होने जा रहे बंगाल विधानसभा के चुनाव में सत्ता पर काबिज रहना बेहद मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि उन्होंने भी एसआईआर का विरोध शुरू कर दिया है किन्तु अब चुनाव आयोग एसआईआर कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
