संपादकीय: अफगानिस्तान और पाकिस्तान आमने सामने
Afghanistan and Pakistan face to face: एक ओर तो रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है और इजराइल तथा फिलिपीन्स के बीच जंग अभी तक हो रही है और अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी आमने सामने आ गये है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खिलाफ ऐयर स्ट्राइक की थी जिससे अफगानिस्तान के 19 लोगों की मौत हो गई थी। जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
इसके बाद से अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और डुरंड लाइन पार करके तालिबानी लड़ाकों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर गोलाबारी शुरू कर दी है। दो पाकिस्तानी चौकियों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर दोनों देशो की सेनाओं का जमावड़ा हो गया है और जंग के हालात निर्मित हो रहे हैं। दोनों देशो के बीच 2640 किलोमिटर लंबी जो डुरंड रेखा है उसे अफगानिस्तान मानने के लिए तैयार ही नहीं है। तालिबान का मानना है कि सीमा से लगे पाकिस्तान के दो प्रमुख शहर पेशावर और क्वेटा अफगानिस्तान का हिस्सा है और वे इसे लेकर रहेंगे।
अफगानिस्तान के हमले लगातार तेज होते जा रहे हैं और पाकिस्तानी सेना के जवान अपनी चौकियों को छेाड़कर भागने लगे हैं। इन चौकियों को तालिबानी आग के हवाले कर रहे हैं और लगातार पाकिस्तान की सीमा में आगे बढ़ रहे है। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने ही तालिबान को बढ़ावा दिया था और अफगानिस्तान सत्ता पर तालिबानियों को काबिज कराया था।
पाकिस्तान ने सोचा था कि तालिबानियों को मदद देकर वह उन्हें भारत के खिलाफ जंग लडऩे के लिए तैयार कर लेगा। लेकिन पाकिस्तान का पासा उल्टा पड़ गया और तालिबान ने पाकिस्तान के खिलाफ ही जंग का आगाज कर दिया। तालिबान के लड़ाकों के पास अत्याधुनिक हथियारों का जखिरा मौजूद है जो अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापिस बुलाने के दौरान अफगानिस्तान में ही छोड दिया था।
अरबों डॉलर के इन हथियारों का तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे है जिससे पाकिस्तान की सिटटी-पिटटी गुम हो गई है। पाकिस्तान पहले ही गृह युद्ध के हालातों का सामना कर रहा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोग बगावत पर उतर आये है। पीओके को पाकिस्तान से अलग करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे है।
पाकिस्तान अभी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया है और अब इधर तालिबान ने उसके खिलाफ मौर्चा खोलकर उसकी सिरदर्दी बढ़ा दी है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही पटरी से उतर चुकी है और गले तक कर्ज में डुबे पाकिस्तान को भीख का कटोरा लेकर दुनियाभर से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है।
ऐसी कठिन स्थिति में यदि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में शुरू हुई जंग लंबी चल जाएगी तो पाकिस्तान के लिए एक तरफ कुआं और दूसरी तरह खाई वाली स्थिति निर्मित हो जाएगी। पाकिस्तान इस समय जिस आर्थिक संकट का सामना कर रहा है ऐसे में वह एक और जंग लडऩे के लिए किसी भी हालात में तैयार नहीं है।
हालांकि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान के मुकाबले बेहद मजबूत है और पाकिस्तान एक परमाणु ताकत से लैश है इसके बाद भी उसके लिए अफगानिस्तान से जंग करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। दरअसल पाकिस्तान हुक्मरानों ने खुद ही अफगानिस्तान से जंग के हालात पैदा किये है।
यदि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जो दुनियाभर में भीख का कटोरा लेकर घुमते फिर रहे हैं वे एक बार अफगानिस्तान चले जाते और तालिबान के साथ बैठक कर विवाद का निपटारा कर लेते तो कदाचित जंग के हालात निर्मित नहीं होते। लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान अफगानिस्तान को कमजोर मान कर बंदूक की नोंक पर विवाद का निपटारा करने का मुगालता पाले हुए है।
वे यह भूल गये है कि बंदूक की नोंक पर किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता और जहां तक बंदूक की बात है तो इस मामले में तालिबान पाकिस्तान का भी बाप है। बहरहाल इन दोनों देशो के बीच जंग यदि लंबी चलती है तो इसका खामियाजा अफगानिस्तान को कम और पाकिस्तान को ज्यादा भुगतना पड़ेगा।