संपादकीय: नई दिल्ली में अहंकार की करारी हार
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A crushing defeat of ego in New Delhi
A crushing defeat of ego in New Delhi: नई दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में गये 27 सालों की लंबी प्रतिक्षा के बाद नई दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने जा रही है भाजपा को 70 में से 46 सीटों पर जीत मिली है वहीं आम आदमी पार्टी को सिफ 22 सीटों पर सिमटा पड़ा है। पिछले दो विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी कांग्रेस नई दिल्ली में अपना खाता नहीं खोलने में विफल रही है।
नई दिल्ली के मतदातओं ने भाजपा के पक्ष में जनादेश देकर यह साबित कर दिया है कि वे झूठ, फरेब और भ्रष्टाचार करने वाली आ आदमी पार्टी के साथ नहीं है इस जनादेश का यह भी स्पष्ट संदेश है कि किसी का भी अहंकार ज्यादा नहीं चलता देर सबेर टूटता ही है। इसलिए लिहाज से यदि यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नई दिल्ली में अहंकार की करारी हार हुई है आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने आपको दिल्ली का मालिक बताते थे और अपनी चुनावी सभाओं में बढ़चढ़कर यह दावा करते थे कि नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगला जन्म लेना पड़ेगा।
अरविंद केजरीवाल का यह घमंड ही उनकी पार्टी के पराजय का प्रमुख कारण बना है। खुद अरविंद केजरीवाल अपनी सीट नहीं बचा पाये। यही नहीं बल्कि उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया चुनाव में हार गये।अरविंद केजरीवाल की जगह कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बनाई गई आतिशी जरूर चुनाव जितने में सफल रही है।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक बयान देकर जनादेश को विनम्रता पूर्वक स्वीकारने की बात कही है और यह भी कहा है कि आम आदमी अब सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगी। नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार भी कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। अलबत्ता कांग्रेस का वोट प्रतिशत थोड़ा बढ़ा है।
कांग्रेस ने कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी का खेल बिगाडा़ है। इस तरह कांग्रेस में आम आदमी पार्टी से हरियाणा में अपनी हार का हिसाब बराबर कर दिया है। गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में सीटों का बटवारा न हो पाने के कारण विवाद हुआ था।
नतीजतन आम आदमी पार्टी में हरियाणा में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए थे जिनमें से भले ही कोई नहीं जीत पाया लेकिन कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी ने वोट काटकर कांग्रेस की हार तय कर दी थी। इसी का बदला कांग्र्रेस ने नई दिल्ली में चुकाया और आम आदमी पार्टी को कई सीटों पर नुकसान पहुंवाया।
कांग्रेस को भी आम आदमी पार्टी के प्रति इस बात को लेकर नाराजगी थी कि अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को आईएनडीआईए से बाहर करने की धमकी दे दी थी। इससे कांग्रेस और आदमी पार्टी के बीच जुबानी जंग भी तेज हुई थी और फिर कांग्रेस ने नई दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले अपने दम पर चुनाव लड़कर आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर करने में अपना पूरा जोर लगा दिया था। चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल यह कहते भी रहे हैं कि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी को हराने के लिए चुनाव लड़ रही है।
बहरहाल कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी का खेल बिगाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अब दिल्ली वासियों की निगाहें इस बात पर टिकी हुई है कि भाजप की ओर से किसी मुख्यमंत्री बनाया जाता है। वैसे नए मुख्यमंत्री के रूप में प्रवेश वर्मा का नाम शीर्ष पर है जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को चार हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया है।