CM Shivraj Singh : तेंदूपत्ता संग्राहक को को फिर से साड़ी, पानी की बोतल और जूते-चप्पल दें – सीएम शिवराज सिंह चौहान
भोपाल, नवप्रदेश। मध्यप्रदेश की 40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक को राज्य सरकार फिर से साड़ी, पानी की बोतल और जूते चप्पल देने की तैयारी में हैं। नौवें मेले के शुभारंभ पर घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन मंत्री विजय शाह को निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि साल 2017-18 में हमने योजना शुरू की थी,बीच में दूसरी सरकार आई उसने बंद कर दी थी। हम इसे फिर से चालू करेंगे मुख्यमंत्री ने 1071 लघु वनोपज समिति प्रबंधकों का मानदेय 10 हजार से बढ़ाकर 13 हजार करने की भी घोषणा की।
26 दिसंबर तक चलेगा वन मेला बता दे लाल परेड ग्राउंड पर 26 दिसंबर तक चलने वाले इस वन मेले में 12 देशों के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक भी शामिल होने आए हैं। मेले में वन उत्पाद, कलात्मक वस्तुएं और पोस्टिक व्यंजनों के स्टॉल भी लगे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कुछ स्टॉल का भ्रमण किया उन्होंने कहा कि आज व्यवस्था के चलते मेले को ठीक से देख नहीं पाया, लेकिन फिर आऊंगा। लाल परेड मैदान पर बन मेले का उद्घाटन करने पहुंचे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आई को टूरिज्म बोर्ड के स्टॉल पर रखे चीता के सेल्फी प्वाइंट पर फोटो खिंचवाई इस दौरान उनके साथ सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया और वन मंत्री विजय शाह भी मौजूद रहे।
मध्यप्रदेश का महुआ ब्रिटेन में एक्सपोर्ट भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेला 2022 में सीएम शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश में वनौषधियां भरपूर होती हैं, अनेक बीमारियों में एलोपैथी का कोई जोड़ नहीं है,
लेकिन कई ऐसी बीमारियां जिसमें वनौषधियों का जवाब नहीं है। इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है, जिससे ये और विशिष्ट बन जाती हैं । मध्यप्रदेश का महुआ ब्रिटेन में एक्सपोर्ट हो रहा है। महुए की केवल शराब नहीं बनती है,
बल्कि इसकी चाय भी बनती है। हमारी बहनें इससे अनेक पौष्टिक आहार बनाती हैं। वनौषधियों से हमारे जनजातीय भाई-बहनों की आय बढ़े, हम इसके लिए भी प्रयत्नशील हैं।
सीएम शिवराज ने कहा कि इन औषधियों से अपने शरीर को निरोग करें। इससे गरीब भाई-बहनों की आय भी बढ़ेगी। मध्यप्रदेश का वन विभाग नित नया इतिहास रच रहा है।
चाहे वाइल्ड लाइफ के संरक्षण का सवाल हो, वनों के संरक्षण का सवाल हो, ईको टूरिज्म का सवाल हो, मध्यप्रदेश नए आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
हमारे वन वनौषधियों से समृद्ध रहें और हमारे गरीब भाई-बहनों जो जंगलों में निवास करते हैं, इसका संग्रहण करके अपनी आय बढ़ायें, इसमें हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।