International Film Festival : 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘मैकेबर ड्रीम्स’ की पेशकश के साथ हॉरर फिल्मों का एक विशेष पैकेज
नई दिल्ली, नवप्रदेश। “डर एक सार्वभौमिक भाषा है; हम सबको डर लगता है। हम जन्म से ही डरने लगते हैं, हमें हर चीज से डर लगता हैः मृत्यु, विकृति, प्रियजनों के खो जाने। हर उस चीज से जिससे मुझे डर लगता है, आप भी उससे डरते हैं; आप जिन चीजों से डरते हैं, मैं भी उनसे डरता हूं।” अमेरिकी फिल्म निर्माता जॉन कारपेंटर, जिन्हें ‘हॉरर फिल्मों का उस्ताद’ कहा जाता है, वे जब अपनी पसंदीदा फिल्म विधा की बात करते हैं, तो वे भावनात्मक रूप से तनिक भी अतिशयता से काम नहीं लेते। कहां से शुरू किया जाये? ‘ड्रैकुला’ से लेकर ‘दि एक्जॉरसिस्ट’ तक या ‘हेरेडिटरी’ से लेकर ‘द कॉन्जरिंग’ तक, सनसनी पैदा कर देने वाली इन हॉरर फिल्मों ने दुनिया भर के सिने-प्रेमियों का ध्यान खींचा है। हर देश और हर भाषा यह दावा कर सकती है कि उसके पास कम से कम दर्जन भर हॉरर फिल्में तो जरूर होंगी, जो अपने दर्शकों को रोमांच से भर देती हैं और उन्हें बेचैन कर देती हैं। हमारे भीतर के डर को कुशलता से इस्तेमाल करके, इस विधा की फिल्मों ने विश्व सिनेमा में तरह-तरह का प्रभाव डाला है और खुद के लिये स्थान बनाया है।
भयावह फिल्मी विधा की लोकप्रियता के आधार पर, 53वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) ‘मैकेबर ड्रीम्स’ की पेशकश कर रहा है। इस गुलदस्ते में नई रिलीज होने वाली हॉरर फिल्में रखी गई हैं, जो सिनेमा हॉल से निकलने के बाद भी आपको विचलित करती रहेंगी। \ यह एक पारलौकिक तत्त्व की डरावनी फिल्म है, जिसका निर्देशन मैक्सिको की फिल्म निर्माता मिचेल गार्जा सरवेरा ने किया है। वे इस फिल्म की सह-लेखक भी हैं। फिल्म में नतालिया सोलियेन ने एक गर्भवती औरत वेलेरिया का किरदार निभाया है, जिसे जादू-टोने की ताकतें मुसीबत में डाल देती हैं। वेलेरिया बच्चे को जन्म देने वाली है, लेकिन वह भारी संशय में पड़ी है और उसे भय महसूस होता रहता है। उसे लगता है कि मकड़े के आकार की कोई चीज वहां मौजूद है। उसे हर तरह के पारलौकिक खतरे का एहसास होता रहता है। इन दानवों का सामना करने के लिये वह अपनी पहले की और आजादाना जिंदगी से जुड़ जाती है। उसके मन में अपने पहले प्यार ऑक्टेविया के लिये भावनायें उद्वेलित होने लगती हैं।
इस फिल्म को मैक्सिको और पेरू ने मिलकर बनाया है। इसका वर्ल्ड प्रीमियर नौ जुलाई, 2022 को ट्रिबेका फेस्टिवल में हुआ था। उसे सर्वश्रेष्ठ नवीन कथात्मक निर्देशक का और नोरा एफ्रॉन पुरस्कार भी मिले हैं।
यह स्पेन की पारलौकिक हॉरर फिल्म है, जिसमें शहरी वातावरण पेश किया गया है कि कैसे आधुनिक जादू-टोने के साथ बचा जाता है। फिल्म का निर्देशन यॉमे बालाग्वेरो ने किया है। यह छह भागों वाले ‘दी फियर कलेक्शन’ का दूसरा हिस्सा है। सोनी पिक्चर्स इंटरनेशनल प्रोडक्शंस और अमेजॉन प्राइम वीडियो मिलकर इसका निर्माण कर रहे हैं। पहली फिल्म अलेक्स डी ला इगलेसिया की वेनेशिया फ्रेनिया (2021) थी।
कथावस्तु अमेरिकी लेखक एच.पी. लवक्राफ्ट की हॉरर कहानी ‘द ड्रीम्स इन दी विच हाउस’ पर आधारित है। कहानी की शुरूआत एक बैले डांसर से होती है, जो उस नाइट क्लब से नशीली गोलियों से भरा एक बैग चुरा लेती है, जहां वह काम करती है। जब उसकी योजना गड़बड़ हो जाती है और बदमाशों का गिरोह उसके पीछे लग जाता है, तो वह अपनी बहन के फ्लैट में छुपने का इरादा करती है। बहरहाल, उस फ्लैट में उन बदमाशों से ज्यादा बड़ा खतरा मौजूद है। कथावस्तु और साउंडट्रैक, दोनों मिलकर बहुत डरावनी ध्वनियां पेश करते हैं। इससे इलेक्ट्रॉनिक संगीत की ताकत का भी पता चलता है। वास्तव में बालाग्वेरो ने लवक्राफ्ट की कहानी को नया मोड़, नया कलेवर दे दिया है।
यह फिनलैंड की मनोवैज्ञानिक हॉरर फिल्म है, जिसका निर्देशन हन्ना बरगॉम ने किया है। इसका प्रीमियर 23 जनवरी, 2022 में सनडांस फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। उसे जेरार्डमर इंटरनेशनल फैंटास्टिक फिल्म फेस्टिवल में ग्रां प्री और प्री दू ज्यून्स पुरस्कार मिल चुके हैं।
यह फिल्म एक युवा जिम्नास्ट टिनजा के आसपास घूमती है, जो अपनी मां को प्रभावित करने की कोशिशों में लगी रहती है। उसकी मां अपने लोकप्रिय ब्लॉग के जरिये दुनिया के सामने एक आदर्श परिवार की छवि पेश करने के पीछे पागल रहती है। एक दिन टिनजा को एक रहस्यमयी अंडा मिलता है। वह उसे घर ले आती है। जब वह पकता है, तो उसके भीतर से निकलने वाले जीव का नाम वह ‘अली’ रख देती है। वह धीरे-धीरे बड़ा होता है और उसी की छवि वाला बन जाता है। फिर वह टिनजा की दबी-कुचली भावनाओं के अनुसार काम करता है।
तो आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं। आईये और पणजी, गोवा में 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2022 तक चलने वाले 53वें इफ्फी में एक हॉरर फिल्मों का आनन्द उठाया जाये।