Compassionate Appointment : छग के उच्च शिक्षा सचिव और IGU को हाईकोर्ट का नोटिस
बिलासपुर/नवप्रदेश। Compassionate Appointment : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव और इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर 4 हप्ते में जवाब तलब किया है। अधिवक्ता अनादि शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता शुभम शर्मा के पिता स्व राकेश कुमार शर्मा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में सहायक वर्ग दो के रूप में पदस्थ थे। जिनका 09 सितंबर 2017 को आकस्मिक निधन हो गया। जिस पर उनके पुत्र शुभम शर्मा द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के लिए 15 अक्टूबर 2017 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया, लेकिन उनके आवेदन को निरस्त कर उनकी सौतेली मां को अनुकम्पा नियुक्ति दे दी गई।
जबकि राकेश कुमार शर्मा के मृत्यु के चार साल बाद भी गीता शर्मा द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारत प्रपत्र में आवेदन भी प्रस्तुत नहीं किया गया था। सौतेले बेटे शुभम शर्मा द्वारा आपत्ति जताई जाने पर उन्हें संबंधित विभाग द्वारा पत्राचार के जरिए बताया कि गीता शर्मा ने अनुकम्पा नियुक्ति पूर्व घोषणा पत्र में दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार का भरण पोषण करने का वचन दिया है और अनुकम्पा नियुक्ति के निर्देशों में विधवा को अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में प्रथम प्राथमिकता होने के कारण उन्हें 13 जनवरी 2022 को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर दी है।
कुछ माह बाद दिवंगत के पुत्र और दिवंगत के माता और पिता (Compassionate Appointment) द्वारा इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के रजिस्ट्रार को निवेदन किया कि गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर की अनुकम्पा नियुक्ति उपरांत किसी तरीके की आर्थिक सहायता नहीं कीI जिसके बाद यूनिवर्सिटी द्वारा गीता शर्मा को सुनवाई का मौका दिया गया जिसमें उन्होंने अपने सौतेले बेटे को वयस्क बताते हुए उनकी और बाकी परिवार को बताया की वे गीता शर्मा पर आश्रित नहीं माने जा सकते।
गीता शर्मा के जवाब के कुछ महीने बाद तक भी जब इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया, जिससे व्यथित होकर अपने अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा हाईकोर्ट में याचिका पेश की। मामले में कोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय और अन्य को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
निधन के बाद मायके चली गई
दिवंगत शासकीय सेवक की पहली पत्नी का वर्ष 2013 में देहांत हो गया था जिसके बाद वर्ष 2017 में उन्होंने गीता शर्मा, जिनके पहले पति ने आत्महत्या कर ली थी, से दूसरी शादी की थीI दिवंगत राकेश कुमार शर्मा के मृत्यु के तेरहवें दिन, उनकी दूसरी पत्नी गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर को छोड़कर मायके चली गयीI गीता शर्मा द्वारा मृत्यु के करीबन चार साल बाद तक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन नहीं जमा किया गया था, जबकि शुभम शर्मा द्वारा प्रथम आवेदन के बाद लगातार इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए स्मरण पत्र लिखे गएI जिस पर यूनिवर्सिटी द्वारा शुभम शर्मा से अपनी सौतेली माँ से अनापत्ति लाने कहा। वर्ष 2021 में शुभम शर्मा द्वारा उनके आवेदन पर सुनवाई ना होने से व्यथित होकर उनके द्वारा हाईकोर्ट में याचिका पेश की गयी थी जिसमें कोर्ट ने 60 दिनों में याचिकर्ता के आवेदन पर सुनवाई करने कहा थाI
तीन माह में करना था आवेदन, 4 सालों बाद किया और मिल गया लाभ : याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू के यहां हुईI याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा कोर्ट में तर्क दिया गया कि अनुकम्पा नियुक्ति के निर्देश 14 जून 2013 और समय समय पर किये गए संशोधनों का 23 फरवरी 2019 के संकलन के नियम क्रमांक 5 में विधवा को अनुकम्पा नियुक्ति में प्रथम पात्रता के साथ उन विधवा के अन्य नियमों के कारण अपात्र होने की स्तिथि में अन्य परिवार के सदस्य जो दिवंगत शासकीय सेवक पर आश्रित थे उनके अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदन विचारणीय होंगेI
इसके अलावा नियम 15 (2) में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र अधिकतम तीन माह के भीतर विभाग में जमा करने का नियम हैI क्यूंकि गीता शर्मा द्वारा उनके पति के मृत्यु के करीबन 4 साल बाद अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन जमा किया गया जिससे यह समझ आता है कि यदि उनके पति के देहांत के बाद उनके जीवन में कोई आर्थिक संकट आया भी हो तो ख़त्म हो चूका था, इसीलिए वे अपात्र की श्रेणी में आती हैंI
विश्वविद्यालय की कार्यशैली संदेहास्पद
इंदिरा गांधी कृषि विश्ववद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा शुभम शर्मा के आवेदन को निरस्त कर उसी आदेश में गीता शर्मा को नियुक्ति दी गयी। तब शुभम शर्मा द्वारा 2017 के आवेदन के बारे में जानकारी लुप्त करते हुए उनके बाद में दिए स्मरण पत्र को ही अनुचित माध्यम से भेजा हुआ आवेदन बताया गया जो जो संदेहास्पद हैI इसके अलावा नियम 15 (13) में सीधा उल्लेख है कि अनुकम्पा नियुक्ति के किसी भी आवेदक द्वारा अगर परिवार के अन्य सदस्यों का समुचित भरण पोषण करने वाले घोषणा पत्र का उल्लंघन होता है तो उनकी अनुकम्पा नियुक्ति समाप्त की जा सकेगीI अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा कोर्ट को यह बताया गया कि अनुकम्पा नियुक्ति दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार में उस सेवक के मृत्यु उपरांत आये आर्थिक संकट से निपटने के लिए सामान्य भर्ती नियमों में एक अपवाद है।
नियमों के विपरीत करा दिया आवेदन
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा नियमों के आड़ में गीता शर्मा को नियमों में दिए आवेदन जमा करने के सालों बाद आवेदन जमा कराया गया और अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाकर उन्हें सहायक वर्ग तीन बनाकर पं. किशोरी लाल शुक्ला उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, राजनंदगांव में पदस्थ कर दिया गया तथा इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा गीता शर्मा के जवाब में उनके घोषणा पत्र के उल्लंघन को स्वयमेव मान लिया गया तब भी यूनिवर्सिटी द्वारा आज दिनांक तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है, और याचिकाकर्ता जिस पर चार साल से आर्थिक विपत्ति उनके पिता के देहांत उपरांत बनी थी जस के तस अभी भी बनी हुई हैI याचिका में यह भी बताया गया कि गीता शर्मा की उम्र को देखते हुए उन्हें सर्विस के बाद पेंशन और अन्य स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा। जबकि याचिकर्ता जो 27 वर्ष के हैं, अगर उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति मिलती है तो वे उनके उज्जवल भविष्य के लिए भी बेहतर होगाI