CM ki Gurur Meeting : बड़ी खुशखबरी...दिवाली के पहले किसानों की डिमांड पूरी... जानें |

CM ki Gurur Meeting : बड़ी खुशखबरी…दिवाली के पहले किसानों की डिमांड पूरी… जानें

CM ki Gurur Meeting: Great news...before Diwali, farmers' demand is fulfilled...Know

CM ki Gurur Meeting

बालोद/नवप्रदेश। CM ki Gurur Meeting : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बालोद जिले में तीसरे दिन के अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम की शुरुआत प्राचीन देऊर मंदिर में दर्शन करके की। उसके बाद वे गुरुर के भेंट मुलाकात स्थल पर पहुंचे है। वहां उन्होंने छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना कर भेंट-मुलाकात कार्यक्रम की शुरूआत की।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- आज आप सभी के बीच आकर बहुत अच्छा लग रहा है। सरगुजा और बस्तर से भेंट मुलाकात की शुरुआत की। मरवाही भी गए, रायगढ़ भी गए। सबसे मुलाकात हो रही है। हमारी योजनाओं का लाभ आपको मिल रहा है या नहीं, यह जानने आया हूँ। आपकी समस्या सुनूंगा और समाधान का प्रयास करूँगा। इसलिए सभी अधिकारियों को भी लाया हूँ। किसानों से किया वायदा निभाया। इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि दीवाली के पहले तीसरा किश्त दे दें। फिर सीएम बघेल ने कहा- हम 15 अक्टूबर को यह देंगे।

इसके पहले मुख्यमंत्री ने गुरुर के देऊर मंदिर में भगवान (CM ki Gurur Meeting) शिव के प्राचीन शिवलिंग की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की मंगल कामना की। मुख्यमंत्री ने भगवान कालभैरव और नाग देवता के मंत्रोच्चार के बीच देऊर मंदिर में पूजा की। मुख्यमंत्री ने देऊर मंदिर के प्रांगण में रुद्राक्ष के पौधे का भी रोपण किया। देऊर मंदिर परिसर में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी मुख्यमंत्री ने दर्शन किए। मुख्यमंत्री ने मंदिर के पुजारियों को उपहार भी भेंट किए। मौलिक रूप में दीमक द्वारा आच्छादित शिवलिंग है मंदिर की विशेषता देऊर मंदिर में स्थापित शिवलिंग का स्वरूप अपने आप में विशेष है। इस प्राचीन मंदिर में शिवलिंग अपने मौलिक रूप में विद्यमान है।

प्राचीन देऊर मंदिर में दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना

खास बात है कि शिवलिंग यहां गर्भगृह में दृष्टिगोचर नहीं है। ऐसा माना जाता है की यहां शिवलिंग भूतल से 5 फीट नीचे गहराई में स्थापित है और बाहरी तौर पर पूरा शिवलिंग दीमक द्वारा आच्छादित नजर आता है। दीमक के घर को स्थानीय भाषा में भूड़ू भी कहा जाता है और प्रचलित रूप में देऊर मंदिर में विराजमान भगवान शिव को भूड़ू वाले बाबा भी कहा जाता है। द्रविड़ शैली के स्थापत्य और पिरामिड नुमा शिखर से निर्मित है ऐतिहासिक भूड़ू वाले बाबा का मंदिर देऊर मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली की स्थापत्य कला के अनुरूप किया गया है।

यहां गर्भ गृह में पिरामिड नुमा शिखर है, जिसमें श्री यंत्र निर्मित है। मंदिर के आचार्य सुरेश पांडे ने बताया की यह ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण के विषय में दो मान्यताएं प्रचलित हैं। यह कहा जाता है कि कलचुरी शासकों द्वारा सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। वहीं नागवंशी शासकों द्वारा 12वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया गया है,ऐसा भी माना जाता है। मंदिर के पीछे के हिस्से में एक प्राचीन शिलालेख (CM ki Gurur Meeting) भी है जो गोंडी भाषा में है।

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