युवा पीढ़ी को पतित करने का प्रयास, सवालों के घेरे में सेंसर बोर्ड
हिन्दी फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में हिंसा और अश्लीलता परोसी जा रही है। एक लंबे अरसे से सुनियोजित रूप से युवा पीढ़ी को पतित करने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है। इसके दुष्परिणाम भी देखे जा रहे हैं। फिल्मों और विभिन्न चौनलों में प्रसारित कार्यक्रमों को देखकर लोगों की मति भ्रष्ट होती जा रही है।
नतीजतन मामूली सी बात पर हत्या कर देना आम बात हो गई है। बलात्कार की घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि भी इसी वजह से है कि बड़ा पर्दा और छोटा पर्दा अश्लीलता की सीमा लांघ रहा है। समझ में नहीं आता कि भारतीय सेंसर बोर्ड आखिर कर क्या रहा है। ऐसी फिल्मों और टीवी धारावाहिकों को प्रसारण की अनुमति कैसे दी जाती है।
ताजा उदाहरण बिग बॉस का है जो कलर्स चैनल पर प्रसारित होता है और सलमान खान इस कार्यक्रम के होस्ट हैं। बिग बॉस में हिन्दू धर्म और संस्कृति का मजाक उड़ाया जा रहा है और पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। यही नहीं बल्कि बिग बॅास पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लग रहा है। निश्चित रूप से यह कार्यक्रम बेहद आपत्तिजनक है और इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। जहर परोसने वाले और मानसिक विकृति पैदा करने वाले ऐसे कार्यक्रमों पर न सिर्फ प्रतिबंध लगना चाहिए बल्कि ऐसा कार्यक्रम बनाने और प्रस्तुत करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
मनोरंजन के नाम पर नंगाई करने की किसी को भी छूट नहीं मिलनी चाहिए। केन्द्र में इस समय भाजपा की सरकार है जो खुद को हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षक बताती है, लेकिन हिन्दू धर्म और संस्कृति पर कुठाराघात करने वालों के खिलाफ वह कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है।
सरकार को चाहिए की वह फिल्म सेंसर बोर्ड में आमूल-चूल परिवर्तन करे और हिंसा व अश्लीलता फैलाने वाले फिल्मकारों और टीवी सीरीयल निर्माताओं के लिए कड़े कानूनी प्रावधान लागू करे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो इसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आएंगे। समाज और देश भटक जाएगा। इसके पहले की पानी सिर से उंचा हो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंसा और अश्लीलता फैलाने वाले लोगों के खलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए। उम्मीद है कि सरकार इस ओर ध्यान देगी और समय रहते इस दिशा में कारगर पहल करेगी।