CMD Bilaspur Office : भूमि विस्थापितों ने ऑफिस के अंदर की नारेबाजी, सितंबर में खदान बंद करने की चेतावनी

CMD Bilaspur Office : भूमि विस्थापितों ने ऑफिस के अंदर की नारेबाजी, सितंबर में खदान बंद करने की चेतावनी

CMD Bilaspur Office: Land displaced shouted slogans inside the office, warning to close the mine in September

CMD Bilaspur Office

बिलासपुर/कोरबा/नवप्रदेश। CMD Bilaspur Office : जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर कोरबा में एसईसीएल क्षेत्र के भूविस्थापितों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन के 285 दिन पूरे हो गए हैं। इस बीच भूविस्थापितों का आंदोलन लगातार तेज हुआ है। उन्होंने कई बार खदान बंद किये हैं, महाप्रबंधक कार्यालयों का घेराव किया है और गिरफ्तारियां भी दी है। प्रबंधन द्वारा इस आंदोलन को तोड़ने की तमाम कोशिशें भी विफल हुई है। अब इस आंदोलन की आंच एसईसीएल के बिलासपुर मुख्यालय तक पहुंच चुकी है।

भूविस्थापितों ने जमीन पर बैठकर किया प्रदर्शन

कल छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ का एक प्रतिनिधिमंडल सीएमडी ऑफिस बिलासपुर पहुंचा, जिससे मिलने से अधिकारियों द्वारा मना करने पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया था। एसईसीएल प्रबंधन के इस रवैये के विरोध में सभी भूविस्थापितों ने ऑफिस में ही जमीन पर बैठकर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दिया, जिससे सीएमडी ऑफिस में अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद अधिकारियों को प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए राजी होना पड़ा।

एसईसीएल डायरेक्टर टेक्निकल (पी एन्ड पी) एस.के.पाल ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि नियमों को शिथिल करते हुए प्रत्येक खातेदार को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी तथा डबल अर्जन में दो रोजगार दिया जायेगा। अर्जन के बाद जन्म वाले सभी भू विस्थापितों के फाइलों को भी पूर्ण करने का निर्देश उन्होंने एरिया महाप्रबंधकों को दिया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक खातेदार को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। भूविस्थापितों ने सभी लंबित रोजगार प्रकरणों में वनटाईम सेटलमेंट के आधार पर रोजगार देने की मांग की है।

नियमों में बदलाव पर अड़े

छत्तीसगढ़ किसान सभा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने मीडिया से कहा है कि आंदोलन के दबाव में ही एसईसीएल को “न्यूनतम दो एकड़ अधिग्रहण पर एक रोजगार” देने के नियमों में बदलाव करना पड़ा है तथा एक अर्जन एक तथा डबल अर्जन में दो रोजगार देने की बात माननी पड़ी है। नाती-पोतों को भी रोजगार देने के लिए अपने नियमों को बदलना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि भूविस्थापितों के आंदोलन की प्रमुख मांग यही है कि भूमि सीमा की बाध्यता को खत्म करते हुए हर अर्जन पर एक स्थायी नौकरी दी जाए। 

बैठक में छत्तीसगढ़ किसान सभा की ओर से प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक तथा रोजगार एकता संघ की ओर से दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु, दीनानाथ, चन्द्रशेखर, बसंत चौहान, मोहन कौशिक ने वार्ता में हिस्सा लिया। बैठक में भूविस्थापितों ने एसईसीएल प्रबंधन को चेतावनी दी है कि अगस्त महीने में उचित कार्यवाही नहीं होने पर सितम्बर माह में सभी मेगा प्रोजेक्ट में महाबंद आंदोलन किया जायेगा।

किसान सभा के नेता दीपक साहू ने नरईबोध गांव में कई पीढ़ियों (CMD Bilaspur Office) से शासकीय भूमि पर काबिजों को परिसंपत्तियों का मुआवजा और बसावट देने की मांग को उठाया, जिस पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वाशन प्रबंधन द्वारा दिया गया।

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