Maharashtra Political Crisis : क्या 'चेतावनी एक्सपर्ट' संजय राउत के भाई भी शिंदे खेमे में होंगे शामिल...पढ़ें

Maharashtra Political Crisis : क्या ‘चेतावनी एक्सपर्ट’ संजय राउत के भाई भी शिंदे खेमे में होंगे शामिल…पढ़ें

Maharashtra Political Crisis: Will the brother of 'warning expert' Sanjay Raut also join the Shinde camp... read

Maharashtra Political Crisis

चंडीगढ़। Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच शिंदे खेमे को थोड़ा और मजबूत करने के लिए शिवसेना के ‘चेतावनी एक्सपर्ट’ संजय राउत के भाई सुनील राउत शामिल होने जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में जो बात चल रही है, वह यह है कि सुनील राउत जल्द ही गुवाहाटी जा सकते हैं और शिवसेना के बागियों का समर्थन कर सकते हैं।

गुवाहाटी के गद्दारों का मुंह देखने नहीं जाएंगे

महाराष्ट्र में इन दिनों भारी सियासी घमासान (Maharashtra Political Crisis) चल रही है इसी के बीच शिवसेना नेता संजय राउत के भाई सुनील राउत ने उन्हें लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया। सुनील राउत ने साफतौर कहा कि वह गुवाहाटी में मौजूद शिवसेना के गद्दारों का मुंह देखने वहां नहीं जाएंगे। 

सुनील राउत वरिष्ठ शिवसेना नेता संजय राउत के छोटे भाई हैं। वे विक्रोली सीट से शिवसेना विधायक हैं। सुनील राउत के बारे में कल अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे भी जल्द गुवाहाटी जाकर शिवसेना के बागियों का साथ दे सकते हैं। राउत ने सोमवार को कहा कि ‘मैं गुवाहाटी क्यों जाऊं? इसके बजाए मैं प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए गोवा जाना पसंद करूंगा। मैं एक शिव सैनिक हूं और आखिरी सांस तक पार्टी के लिए काम करूंगा।’ उन्होंने कहा कि नारायण राणे और राज ठाकरे जो चाहें सब कह सकते हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे निश्चित रूप से जीतेंगे। मैं शिवसेना में था और इस पार्टी में रहूंगा। 

राष्ट्रपति चुनाव से पहले मसले को हल करने की जुगत

मीडिया रिपोर्ट्स (Maharashtra Political Crisis) की मानें तो एकनाथ शिंदे ने इस मसले पर राज ठाकरे से दो बार फोन पर बातचीत भी की है। खबरों के मुताबिक शिंदे गुट का राज ठाकरे की मनसे में विलय दो दिन पहले देवेंद्र फडणवीस से एकनाथ शिंदे की गुपचुप मुलाकात में ही तय हो गया था। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में देश के गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। भले ही एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 38 बागी विधायकों का समर्थन हो, लेकिन नई पार्टी के रूप में उनको मान्यता मिलना आसान नहीं है। ऐसे में शिंदे गुट राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस मसले को हल करना चाहता है। 

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