Leader of Bharatiya Kisan Union : राकेश टिकैत के प्रति किसानों में गुस्सा
Leader of Bharatiya Kisan Union : भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के प्रति अब किसानों में गुस्सा फूटने लगा है। उनकी यूनियन पहले ही तो फाड़ हो चुकी है। यूनियन के अधिकांश नेता राकेश टिकैत का साथ छोड़कर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक बना चुके है। अब राकेश टिकैत के साथ मुट्ठी भर लोग ही है। इसके बावजूद राकेश टिकैत खुद को सबसे बड़ा किसान नेता साबित करने की कवायत में जुटे हुए है लेकिन अब वे जहां भी जा रहे है उन्हे किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में राकेश टिकैत जब राजस्थान गए थे तो वहां के किसानों (Leader of Bharatiya Kisan Union) ने उनका रास्ता रोककर न सिर्फ उनकी गाड़ी के शीशे तोड़े बल्कि उनके साथ झूमाझटकी भी की थी। अब ऐसी ही घटना कर्नाटक के बैगलुरू में हुई है। जहां राकेश टिकैत अपनी यूनियन की कर्नाटक ईकाई द्वारा किसान आंदोलन के नाम पर हुई चंदा उगाही में गड़बड़ी के आरोप की सफाई देने पत्रकार वार्ता लेने पहुंचे थे। पत्रकारवार्ता के दौरान उन्होने यह सफाई दी थी कि कर्नाटक में किसान आंदोलन के नाम पर जो चंदा वसूली हुई है उससे उनका कोई लेना देना नहीं है।
इस तरह उन्होने इस घपलेबाजी की ठीकरा अपनी यूनियन की कर्नाटक ईकाई के पदाधिकारियों पर फोड़ दिया। इससे नाराज होकर वहां के किसान प्रतिनिधियों ने राकेश टिकैत पर श्याही फेंक दी और माईक से हमला कर दिया। इस हमले को राकेश टिकैत ने कर्नाटक सरकार के द्वारा प्रायोजित बता दिया। जबकि हकीकत यह है कि अन्य राज्यों के किसानों की तरह ही कर्नाटक के किसानों में भी राकेश टिकैत के खिलाफ आक्रोश गहराता जा रहा है।
राकेश टिकैत का असली चेहरा अब सबसे सामने आ रहा है। उनकी यूनियन का दो फाड़ होना ही इस बात का प्रमाण है कि राकेश टिकैत की असलियत से अब किसान नेता वाकिफ हो चुके है। स्थिति तो यह है कि राकेश टिकैत के गांव में ही उनके खिलाफ असंतोष उभरने लगा है। वहां के ग्रामीणों ने प्रशासन से लिखित शिकयत की है कि राकेश टिकैत ने गांव के तालाब पर अवैध कब्जा कर के किसान भवन बनवाया है।
राकेश टिकैत (Leader of Bharatiya Kisan Union) पर सरकारी जमीन हड़पने के और भी आरोप लगे है जिनकी जांच चल रही है और यदि ये आरोप सही पाए गए तो उनकी अवैध प्रापर्टी पर बुलडोजर चलना तय माना जा रहा है। राकेश टिकैत जैसे भी नेता हो लेकिन उनके खिलाफ किसानों को कानूनी लड़ाई लडऩी चाहिए उनपर हमला कर के कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए।