Taj Mahal Controversy : कोर्ट की फटकार- आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा इतिहास
लखनऊ। Taj Mahal Controversy : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई है। गुरुवार को 12 बजे सुनवाई शुरू हुई थी। ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती बरती है।
जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता डॉ. रजनीश सिंह से कहा कि पीआईएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पीएचडी करें, तब कोर्ट आएं। अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। उन्होंने ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा। हाईकोर्ट ने रजनीश सिंह से कहा कि आप एक समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज की मांग कर रहे हैं, आप कौन होते हैं, यह आपका अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा- जहां तक ताजमहल (Taj Mahal Controversy) के कमरे खोलने की मांग है तो हमारा मानना है कि इसमें याचिकाकर्ता को रिसर्च की जरूरत है। हम इस रिट पिटीशन को स्वीकार नहीं कर सकते।
भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर करके ताजमहल (Taj Mahal Controversy) के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की थी। इन कमरों में उन्होंने हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताई है। उनके मुताबिक इन बंद कमरों का रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए। रजनीश सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने की मांग की थी। वहीं इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल विश्व विरासत है। इसे धार्मिक रंग नहीं देना सही नहीं है।