Budget Spoiler : मंहगाई की मार से त्रस्त आम आदमी
राजेश माहेश्वरी। Budget Spoiler : दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। लगातार महंगाई की मार ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करीब एक महीने के अंदर हर एक सामान पर 30 से 40 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में आम जनता के लिए जिंदगी का गुजारा करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में निरंतर जिस तेजी के साथ देश में महंगाई बढ़ी है, उससे गरीब तबका तो पहले से ही परेशान है, लेकिन अब तो मध्यमवर्गीय परिवार को भी अपनी आय और व्यय में सामंजस्य बैठाना बेहद मुश्किल हो रहा है।
कोरोना काल के बाद देश में आर्थिक मंदी व सभी क्षेत्रों में बढ़ती महंगाई ने आम जनता के सामने ‘वह जीवनयापन कैसे करें’ कि एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। चिंता की बात यह है कि महंगाई के प्रकोप के लंबे समय से चले आ रहे हालातों में सुधार होने की जगह परिस्थितियां दिन-प्रतिदिन विकट होती जा रही हैं।
जीवन जीने के लिए बेहद जरूरी दैनिक उपभोग की वस्तुओं व पेट भरने वाली रसोई के बढ़ते बजट ने आम व खास सभी वर्ग के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। डीजल-पेट्रोल की बढ़ रही कीमते (Budget Spoiler) बाजार पर दिख रही है और रसोई गैस ने किचेन का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। पिछले दिनों घरेलू रसोई गैस का सिलेंडर 50 रुपए महंगा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक सिलेंडर 999.50 रुपए में मिलेगा। यह सामान्य बढ़ोतरी नहीं है। 2012-14 में यह सिलेंडर 410 रुपए में मिलता था। जब कांग्रेस की यूपीए सरकार का कार्यकाल समाप्त हुआ, तब करीब 46,458 करोड़ रुपए की सबसिडी भी दी जाती थी।
मोदी सरकार ने सबसिडी बिल्कुल खत्म कर दी है। अब 8-10 साल के दौरान दाम करीब अढाई गुना बढ़ गए हैं। बीते एक साल के दौरान रसोई गैस का 14.2 किलोग्राम का सिलेंडर 190.50 रुपए महंगा हो चुका है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घरों का बजट 40 प्रतिशत बढ़ गया है। जो सामान लगभग साल भर पहले 70 रुपये में आता था, आज वह सौ से लेकर 110 रुपये तक पहुंच गया है। दाल-चावल, सब्जी, शैंपू, साबुन, तेल सब महंगे हो गए हैं। स्थिति ये है कि बढ़ती महंगाई ने लोगों को आवश्यक खर्चो में कटौती करने के लिए विवश कर दिया है।
एक अनुमान के अनुसार, अप्रैल-2019 में महीने के राशन का जो बजट 4,000 रुपये था। वह बढ़कर 5,600 रुपये तक पहुंच गया है। कारोबारियों के अनुसार, अनाज व खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही साबुन, शैंपू, बिस्कुट की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। बजट बढऩे का सबसे बड़ा कारण ये है। खाद्य तेलों की कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। इनकी कीमतें 40 फीसद से अधिक बढ़ गई हैं। 130 से 150 रुपये लीटर में बिकने वाला फल्ली तेल 200 रुपये प्रति लीटर में बिक रहा है। इसी प्रकार 350 रुपये किलो में बिकने वाली चाय अभी 510 रुपये किलो पहुंच गई है। भारत के सबसे बड़े एफएमसीजी ब्रांड हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड ने 5 मई से अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों में 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है।
इससे पहले इसी साल मार्च में हिंदुस्तान यूनीलिवर और नेस्ले ने मैगी, चाय, कॉफी और मिल्क की कीमतें 14 मार्च से बढ़ाई थीं। मतलब साफ है कि मंहगाई का घोड़ा रूकने का नाम नहीं ले रहा। मंहगाई के अर्थशास्त्र की बात की जाए तो घरेलू गैस 143 फीसदी महंगी हुई है, तो सोया तेल 111 फीसदी, आटा 60 फीसदी और अरहर की दाल 47 फीसदी महंगी हो गई है। बीते 10 माह के दौरान दूध की कीमत दो बार बढ़ चुकी है। हेयर ऑयल की कीमत 280 रुपए से बढ़ कर 340 रुपए हो गई है। उसकी मात्रा भी कम कर दी गई है। बच्चों की पढ़ाई भी महंगी हुई है।
कोराना काल के दौरान वर्ष-2020 अप्रैल में और अप्रैल-2021 में भी खाद्य सामग्रियों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन यह बढ़ोतरी सप्लाई न होने के कारण हुई थी। उस दौरान लोगों में कोरोना का भय भी इतना था कि सप्लाई की तुलना में मांग बढ़ गई थी। कोरोना काल में मुख्य रूप से आटा व खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी हुई थी। मंहगाई को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है। केंद्र सरकार की अपनी दलीलें हैं, और विपक्ष भी अपने राजनीतिक नफे-नुकसान के हिसाब से विरोध और आलोचना कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच आम आदमी को कोई राहत मिलती दिखाई नहीं देती। सरकारें बदलती गईं लेकिन महंगाई नहीं रुकी। महंगाई घटने की बजाय दिनोंदिन बढ़ती ही गई।
कोरोना महामारी ने आग में घी का काम किया है। महंगाई हर किसी के लिए एक बड़ा मुद्दा है, परन्तु मुद्दा तो सिर्फ मुद्दा ही बनकर रह गया है। सब कुछ जानते हुए भी लोगों की जुबान बंद है। आखिर लोग करें तो क्या करें? कोई कुछ बोले तो क्या बोले? सभी यह जानते हैं कि बोल कर भी कोई असर होने वाला नहीं है। यही कारण है कि सबकी जुबान बंद है। कोरोना की मार झेली हुई जनता अब उबरने के प्रयास में जुटी हुई है और महंगाई है कि अलग परेशान कर रखा है। परिस्थितियां चाहे कुछ भी हो बड़े लोगों को तो इतना फर्क नही पड़ता, परन्तु उन गरीब लोगों का क्या जो किसी प्रकार से दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि लगातार बढ़ती महंगाई (Budget Spoiler) से आम जनता बेहद परेशान है। आए दिन किसी न किसी चीज के भाव बढने की खबर आती है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस ने तो रेकॉर्ड तोड़ दिए. मगर इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। अब आर्थिक विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि करीब 35 करोड़ आबादी तो गरीबी-रेखा के नीचे जीने को विवश है। जो लोग अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उनकी तनख्वाह और आर्थिक संसाधन इतने नहीं हैं कि घर के दूसरे खर्चों के साथ-साथ 1000 रुपए का गैस सिलेंडर भी वहन कर सकें। केंद्र सरकार को एक स्वतंत्र भी सर्वे कराने चाहिए कि जिन करोड़ों परिवारों को ‘उज्ज्वला गैस योजना’ के तहत नि:शुल्क सिलेंडर बांटे गए थे, उनमें से अब कितने गैस सिलेंडर इस्तेमाल कर पा रहे हैं?