Higher Education : उच्च शिक्षा के लिए केवल प्रवेश परीक्षा
हरिवंश चतुर्वेदी। Higher Education : जीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार द्वारा 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्नातक कक्षाओं में दाखिले के लिए घोषित किए गए सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेन्स टेस्ट (सीयूईटी) के साथ ही अब अगले सत्र से नई व्यवस्था लागू हो गई है। फिलहाल यह व्यवस्था 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए ही अनिवार्य की गई है, किंतु निजी, डीम्ड व राज्यों के सरकारी विश्वविद्यालयों को भी इसमें शामिल होने का विकल्प रहेगा।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए यूपीए-2 के कार्यकाल में ही सीयूईटी ऐक्ट वर्ष 2010 में पारित किया गया था, किंतु अब तक यह एक वैकल्पिक व्यवस्था थी। पिछले वर्ष 14 केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी को अपनाया था, जिनमें अपेक्षाकृत नामी-गिरामी विश्वविद्यालय शामिल नहीं थे। यूजीसी के नए फैसले के अनुसार, अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सत्र 2022-23 के लिए स्नातक कक्षाओं में दाखिले 12वीं की परीक्षाओं के प्राप्तांकों के आधार पर न होकर सीयूईटी के स्कोर के आधार पर होंगे।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर दाखिले की पिछले कई दशकों से चली आ रही कट ऑफ वाली व्यवस्था अब खत्म हो जाएगी। अप्रैल, 2022 के पहले हफ्ते में सीयूईटी के लिए आवेदन पत्र भरे जा सकेंगे और जुलाई, 2022 में अनेक बड़े शहरों में नेशनल टेस्टिग एजेंसी (एनटीए) द्वारा ऑनलाइन माध्यम से यह प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय के सात मशहूर कॉलेजों की दस स्नातक कक्षाओं के प्रवेश में कट ऑफ 100 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इससे पूरे देश में कट ऑफ की समूची व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे।
देश में 12वीं की परीक्षाएं सीबीएसई और आईसीटीई सहित 50 से अधिक राज्य माध्यमिक बोर्डों द्वारा संचालित की जाती हैं, जिनके मूल्यांकन पैमानों में एकरूपता नहीं है। यह ठीक है कि नई व्यवस्था में कट ऑफ प्रणाली की विद्रूपताएं रोकी जा सकेंगी, किंतु फिर भी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के यूजी दाखिलों में इस नीतिगत बदलाव से देश के करोड़ों परिवारों का अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने का सपना अभी पूरा नहीं हो पाएगा।
यूजी स्तर पर (Higher Education) अच्छे विश्वविद्यालयों में दाखिलों के लिए देश में मारामारी जैसा माहौल क्यों चला आ रहा है? क्या यूजीसी द्वारा लागू की गई सीयूईटी की नई व्यवस्था इस व्यापक समस्या का हल कर पाएगी? हमारे देश में जो आर्थिक व सामाजिक विविधताएं और विषमताएं पाई जाती हैं, उनको देखते हुए क्या दाखिले की नई व्यवस्था यूजी दाखिले में सबको समान अवसर दे पाएगी? क्या ऑनलाइन तरीके से संचालित एमसीक्यू प्रश्नों वाली परीक्षा समाज के सभी वर्गों को समान सहूलियत या कठिनाई प्रदान करेगी? क्या नीट और जेईई की तरह इस नई व्यवस्था से कोचिंग इंडस्ट्री और अधिक ताकतवर नहीं हो जाएगी? ज्ञातव्य है कि सीयूईटी की घोषणा से पहले ही निजी कंपनियों के कोचिंग पैकेज की बिक्री शुरू है।
हमारे देश में अगर गुणवत्ता, ब्रांड व रोजगारपरकता के आधार पर विश्वविद्यालयों के चुनाव किए जाएं, तो देश के कुल 1,000 से अधिक विश्वविद्यालयों में बमुश्किल 200 ऐसे होंगे, जहां हर परिवार अपने बच्चे को पढ़ाना चाहेगा। इनमें 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 50 राज्य सरकारों के विश्वविद्यालय और शेष निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं। नैक के गुणवत्ता पैमानों पर भी 20 से 25 प्रतिशत विश्वविद्यालय ही खरे उतरेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया, बीएचयू, एएमयू जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के दाखिलों के लिए मारामारी इसलिए होती है, क्योंकि वहां शिक्षा का स्तर श्रेष्ठ है, फीस कम है और इन जगहों पर यूजी की पढ़ाई करने से युवाओं को करियर बनाने में आसानी रहती है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय, केंद्र सरकार द्वारा पोषित होने के कारण फीस बहुत कम रखते हैं, किंतु निजी नामचीन संस्थानों में कोर्स की फीस 15 लाख रुपये से 35 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। स्पष्ट है, हर मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए इसे वहन कर पाना कठिन होता है। 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की कुल संख्या 2019-20 में 7.2 लाख थी, जो देश के कुल विद्यार्थियों का सिर्फ 2.4 प्रतिशत थी। इन 7.2 लाख विद्यार्थियों में यूजी स्तर पर मात्र 5.40 लाख विद्यार्थी पंजीकृत थे। जाहिर है, सीयूईटी यद्यपि एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन यह गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के अभाव का कोई प्रभावी निराकरण नहीं कर पाएगा।
ज्ञातव्य है कि सीईयूटी की ऑनलाइन परीक्षा का संचालन एनटीए जुलाई, 2022 में करेगी। अच्छी बात है कि परीक्षार्थियों के पास 13 भाषाओं में से किसी भी भाषा में ऑनलाइन टेस्ट देने का विकल्प रहेगा। यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार के अनुसार, सीईयूटी तीन घंटे की ऑनलाइन परीक्षा होगी, जिसमें हर सवाल के साथ दिए गए वैकल्पिक उत्तरों में से एक सही उत्तर पर परीक्षार्थियों को टिक करना होगा। देश की संकटग्रस्त उच्च शिक्षा प्रणाली को ढर्रे पर लाने के लिए सीयूईटी एक सराहनीय कदम है। इससे यूजी प्रवेश में बोर्ड परीक्षाओं के असंतुलित परीक्षा फलों पर निर्भरता खत्म होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया था कि ऐसी परीक्षा तभी कारगर होगी, जब वह विद्यार्थियों को ज्ञान आत्मसात करना और जीवन में उसे उपयोग करना सीखा सके। ऐसी परीक्षा को ट्यूशन लेने या कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढऩे की कुप्रथा को भी खत्म करना होगा। क्या हम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यह यह उम्मीद करें कि वह इन बातों को ध्यान में रखेगी? क्या हम 12 वर्षों के स्कूली अनुभव को प्रवेश परीक्षा में पूरी तरह से नकार सकते हैं? किसी भी परीक्षार्थी की प्रतिभा को सिर्फ एमसीक्यू, रीजनिंग एबिलिटी टेस्ट या ऑनलाइन परीक्षा से ही नहीं जाना जा सकता है।
उच्च शिक्षा (Higher Education) में व्यापक सुधारों की जरूरत है, जिनकी तरफ डॉक्टर कस्तूरीरंगन कमेटी ने इशारा किया था। सीयूईटी इस दिशा में एक प्रभावी कदम तभी होगा, जब हम इसे बड़े, दूरगामी और ढांचागत सुधारों की पहली कड़ी के रूप में देखें। भारत में उच्च शिक्षा के व्यापक विस्तार और उसमें भारी विनियोग की जरूरत है, जिसमें कोई भी देरी घातक होगी।