जब नमस्ते चौक में जनता ने मुख्यमंत्री को कॉमन मैन की तरह बैठे देखा
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सभी के मुंह से निकला, काश… यह सादगी बनी रहे, कोई सियासी हथकंडा नहीं सच में सहज है उनका अंदाज
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सीएम के आठ माह में बार-बार दिखा अंदर का आम इंसान
सुकांत राजपूत
रायपुर। नौकरशाह (Bureaucrat) हों, साथी राजनेता (politician) या फिर पत्रकार (Journalist) और आम जनता सभी सूबा-ए-सदर भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की सादगी के कायल हैं। आमतौर पर कैमरे के सामने सियासी हथकंडेबाज खुद को कॉमन मैन साबित करने की नाकाम कोशिश एन चुनाव से पहले करते हैं। लेकिन, सीधे, सपाट और ठेठ अंदाज-ए-बयां ओहदा मिलते ही शाही हो जाता है।
ऐसे में अकेले ही लंबे वक्त तक जद्दोजहद के बाद कामयाबी मिलने के बाद भी सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के अंदर का आम इंसान जिंदा है। मुख्यमंत्री (CM) बने 8 माह बीतने को है और कई बार उनके अंदर की सहजता देख प्रदेश की जनता भी उन्हें अपने से अलहदा नहीं मानती।
कॉमन मैन की तरह चौराहे में चाय-बिस्कुट खाना हो या फिर मंच छोड़कर लोगों के बीच बैठने की बेकरारी यह जाहिर करती है कि वे उपर नहीं सब के बीच रहना चाहते हैं।खुद को मुख्यमंत्री जी या सीएम साहब (CM Bhupesh Baghel) की बजाए भइया, बेटा कहलवाने में सहजता महसूस होती है।
पत्रकारों से कन्नी काटने वाले नेताओं का भी एक वक्त था जब सवालों से बचने की कोशिशें वे करते थे। सीएम भूपेश बघेल तो मंच से पत्रकारों के हर तरह के सवालों का सरलता से जवाब देकर उनके बीच नीचे आकर बैठते भी हैं और उनकी सुनते-मानते भी हैं।
कई मौकों पर वे पत्रकारों को अपने दिल के करीब बता चुके हैं। बेवजह काम पसंद नौकरशाहों को भी टोकना, रोकना पसंद नहीं करते। जनचौपाल के जरिए तकलीफ से लोगों को निजात दिलाने प्रदेशवासियों से सीधे संवाद के मौके पर भी वे मुख्यमंत्री (CM) के प्रोटोकॉल दरकिनार करते दिखे हैं।
आज मंगलवार 20 अगस्त को सदभावना रैली के दौरान उनके अंदर का आम इंसान फिर लोगों के सामने आया। पेश है छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नमस्ते चौक देवेंद्र नगर से लेकर अब तक का आम अंदाज।
विधायक जुनेजा के नमस्ते चौक में बैठने वाले पहले सीएम भूपेश
20 अगस्त को स्वर्गीय राजीव गांधी की याद में सदभावना रैली में सुबह हिस्सा लिये। रैली के बाद कांग्रेस विधायक कुलदीप जुनेजा संग वे देवेन्द्र नगर मोड़ पर नमस्ते चौक में चाय ठेले में सभी कांग्रेसी साथियों संग चाय-बिस्कुट का मजा लिये। बता दें कि विधायक कुलदीप जुनेजा की सियासत का यह टर्निंग पॉइंट बन गया है नमस्ते चौक।
वे यहीं विधायकी कार्यकाल में लोगों से मिलते हैं। यहां चाय आम लोग भी पीते हैं उसी तर्ज में आज विधायक, सीएम, प्रदेश प्रभारी समेत रायपुर के वरिष्ठ विधायक भी पीसीसी चीफ संग आम चाय ठेले में बैठे दिखे।
ठेले गुमटी में यूं तो पुलिस झुंड लगाने वालों को देखते ही खदेड़ देती है पर आज मंजर कुछ और ही दिखा, पुलिस सुरक्षा में मुस्तैद रही। सीएम को अपने बीच कॉमन मैन के रूप में चाय पीता देख लोगों के मुंह से यह भी निकल गया काश उनकी सादगी हमेशा यूं ही बनी रहे।
जनचौपाल में फरियादी की रोती नन्हीं मासूम को दुलारा
फायरब्रांड सीएम का तमगा भी श्री बघेल (CM Bhagel) को ही मिला है। लेकिन, जनचौपाल के जरिए प्रदेश के आम लोगों की तकलीफों से सीधे संवाद करने वे बेकरार रहते हैं। जनचौपाल के दिन अपनी परेशानी से सैकड़ों फरियादी सीएम से मुखातिब थे। भीड़ में महासमुंद के ग्राम सिंघोड़ा से आईं समुन्द टंडन भी गोद में नन्ही बेटी को लेकर आवेदन देने के इंतजार में थी।
भीड़ से घबराई बच्ची रोने लगी तभी सीएम भूपेश (Bhupesh Baghel) का ध्यान उसपर गया और वे फौरन लपक कर उसके पास पहुंचे और लाड़ भरे अंदाज में बच्ची से पूछने लगे क्यों रो रही हो। फिर जेब से उसे चॉकलेट निकाल कर बढ़ाया और बच्ची भी सीएम के इस अंदाज से फौरन चुप हो गई।
नन्ही बच्ची के चुप होते ही मां भी सीएम की इस अंदाज को देखती ही रहीं। तभी श्री बघेल ने उनके आवेदन को हाथों में लिया और परेशानी दूर करने के लिए अफसरों को निर्देशित किया।
सावन के अंतिम सोमवार को पैदल कांवड़ लेकर गए महादेव घाट
भगवान के नाम और पूजा-पाठ कर अपनी सियासत चमकाने वाले तो राजनीति में कई हैं, लेकिन भगवान की सच्ची भक्ति में एक कदम भी पैदल चलने वाले मुख्यमंत्री (CM) बिरले ही होते हैं। ऐसे ही सियासी लीडरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोग देखे हैं और प्रदेश में सबसे खास नाम है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का।
भगवान शंकर की भक्ति में भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कांधे में कांवड़ रखकर महादेवघाट तक पदयात्रा किये और वहां शिव की आराधना कर जलाभिषेक किया। तकरीबन 12 किलो मीटर का पैदल ही रास्ता तय किया। रास्तेभर भक्तीमय माहौल में सीएम के पीछे पूरा मंत्रीमंडल और कांग्रेस के विधायक बोल बम, हर-हर महादेव का जयघोष भी करते चलते रहे। सीएम के इस आम श्रध्दालुओं वाला अवतार देखकर रायपुर की जनता भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी।
तामझाम छोड़कर फ्लाइट से लेकर कारकेड तक में पेश किया उदाहरण
सीएम की सादगी और आम लोगों की तरह रहने, खाने की आदत से सभी वाकिफ हैं। वे किसी आम व्यक्ति की तरह फिजूलखर्ची की बजाए बजट बनाकर चलने वाले भी हैं। जब वे सीएम बने तो सबसे पहले पूर्व सीएम रमन सिंह की महंगी पजेरो कार के काफिले में कटौती करे। ट्रैफिक भी न परेशान हो इसलिए वे रायपुर से भिलाई आवास तक कई दिनों तक खामोशी से आवाजाही किये।
रायपुर से दिल्ली के बीच वे चाहते तो पूरे तामझाम से आना-जाना कर सकते हैं। लेकिन, हमेशा उन्हों ने किसी आम विमान यात्री की तरह ही सफर किया है। उनकी सादगी और मितव्ययीता का ही उदाहरण है कि वे मंत्री टीएस सिंहदेव, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम संग नियमित विमान से सामान्य यात्री की तरह दिल्ली गए।
जबकि दिल्ली दौरा उनका पूर्वनिधारित था और वे चाहते तो नियमित फ्लाइट में भी वे महंगी टिकट में सफर करने की बजाए कॉमन रो में इंडिगो की फ्लाइट में विशिष्ट कतार में सीट लेने की बजाए 12वीं पंक्ति में सीट लेकर बैठे।