BIG BREAKING : छत्तीसगढ़ के दुर्ग की नित्या के हवाले कश्मीर घाटी का संवेदनशील इलाका
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मूलत: छग की रहने वाली आईपीएस अधिकारी पर उस इलाके का जिम्मा, जहां नजरबंद हैं नेता
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर jammu and kashmir से अनुच्छेद 370 हटने व इसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां उत्पन्न चुनौतीपूर्ण हालातों के बीच छत्तीसगढ़ chhattisgarh की रहने वाली आईपीएस अधिकारी पीडी नित्या IPS officer PD Nitya अपनी ड्यूटी बखूबी निभाकर छत्तीसगढ़ chhattisgarh का नाम रोशन कर रही है। मूलत: दुर्ग की रहनेवाली 28 वर्षीय पीडी नित्या IPS officer PD Nitya 2016 बैच की अधिकारी हैं। उनके पिता दुर्ग रेलवे में थे और मां हाउस वाईफ है।
एनआईटी रायपुर NIT Raipur से केमिकल इंजीनियरिंग करने वाली नित्या पहली नौकरी चंद्रपुर में सिमेंट फैक्टी में लगी थी लेकिन वह उसे रास नहीं आई। वहीं से युपीएससी की तैयारी कर 2016 में आईपीएस IPS में चयतनित हुई। हाल ही में उनकी पोस्टिंग श्रीनगर में की गई।
यहां उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं है। उन्हें राम मुंशी बाग और हरवन दाग्ची गांव के बीच निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। करीब 40 किमी में फैला ये इलाका संवेदनशील है। इस इलाके में न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र डल झील ही है, बल्कि राज्यपाल आवास और वो इमारत भी है, जहां जम्मू कश्मीर jammu and kashmir के नेताओं व वीआईपी VIP शख्सियतों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से नजरबंद किया गया है।
आईपीएस बनने से पहले नित्या IPS officer PD Nitya कार्पोरेट सेक्टर की नौकरी में थीं। लेकिन अब एक उनके लिए सीमेंट कंपनी के मैनजर की जिम्मेदारी निभाने की तुलना में घाटी के हालातों को संभालना कई गुना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। लेकिन नित्या की बातों से ये साफ हो जाता है कि वे भी इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
मुझे चुनौती पसंद : नित्या
नेहरू पार्क के उप विभागीय पुलिस अधिकारी के पद पर तैनात नित्या कहती हैं- ‘मैं छत्तीसगढ chhattisgarh के दुर्ग से हूं, जहां हमेशा शांति रही है। लेकिन मुझे चुनौतियां पसंद है। मुझे आम नागरिकों की सुरक्षा के साथ ही वीवीआईपी VIP की सुरक्षा का भी ध्यान रखना पड़ता है। निश्चित तौर पर यह सब छत्तीसगढ़ jammu and kashmir में गुजारे मेरे जीवन से काफी अलग है।
‘नित्या को सड़कों पर आए दिन हालातों से विरूद्ध लोगों से भी दो चार होना पड़ता है। इनमें फुटकर व्यापारियों से लेकर स्थानीय निजी स्कूलों के शिक्षक तक शामिल होते हैं। हालांकि बीटेक कर चुकीं एक ट्रेंड केमिकल इंजीनियर नित्या IPS officer PD Nitya ने घाटी के हालातों की केमिस्ट्री से निपटना भी सीख लिया है। वे हिंदी के साथ ही कश्मीरी भाषा भी धारा प्रवाह के साथ बोलती हैं। और तेलुगु उनकी मातृभाषा है।
क्राइसिस मैनेजमेंट में जुटीं आईएएस अफसर :
नित्या की तरह ही एक और महिला अधिकारी है, जो इन दिनों घाटी में लोगों की समस्याओं को हल कर एक तरह से क्राइसिस मैनेजमेंट का काम कर रही है। इनका नाम है डॉ. सय्यद सेहरिश असगर। 2013 बैच की इस आईएएस अधिकारी को जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनने के महज चार दिन पहले ही श्रीनगर में जम्मू कश्मीर jammu and kashmir प्रशासन के सूचना निदेशक के पद पर भेजा गया।
वैसे तो उनका काम लोगों को सरकार की योजनाओं के बारे में बताना है। लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पिछले 8 दिन से उनके काम ने क्राइसिस मैनेजमेंट की शक्ल ले ली है। वे स्थानीय लोगों की सैकड़ों किमी दूरे रह रहे उनके परिजन से फोन पर बात करा रही हैं।
असगर एमबीबीएस की पढ़ाई कर जम्मू में प्रैक्टिस कर रही थीं। लेकिन यह छोड़ उन्होंने आईएएस बनने की ठानी। अब वे कहती हैं कि पहले मैं मरीजों का इलाज करती थी लेकिन आज घाटी के हालात कुछ और हैं। ऐसे हालातों में सख्ती के साथ ही लोगों को भावनात्मक सपोर्ट देने की जरूरत है।
घाटी में नित्या व असगर के रूप में सिर्फ दो ही शीर्ष महिला अधिकारी :
खास बात यह भी है कि नित्या व असगर ही ऐसी दो महिला आईपीएस IPS व आईएएस IAS अफसर हैं, जिनकी तैनाती हाल ही में घाटी में हुई है। बाकी की सभी शीर्ष महिला अधिकारी या तो जम्मू रीजन में या फिर लद्दाख में पदस्थ हैं।