Mother The Nation : गौ उत्थान के लिए राष्ट्रमाता के दर्ज की दरकार

Mother The Nation : गौ उत्थान के लिए राष्ट्रमाता के दर्ज की दरकार

Mother The Nation: The need for the registration of the mother of the nation for the upliftment of the cow

Mother The Nation

प्रेम शर्मा। Mother The Nation : गौ माता सनातन धर्म की मूलाधार है। सनातन धर्म की कोई भी पूजा व संस्कार गौ माता के बिना पूरे नहीं होते है। गौ माता में 33 कोटि देवी देवताओं का वास है। वर्ष 2019 में केन्द्रीय सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि गौ माता के लिए हमारी सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी। सरकार गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन करेगी।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तो गौसेवक सरकार के नाम से प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गौ रक्षा के लिए गौ संरक्षण अधिनियम उत्तर प्रदेश विद्यमान है। गौ माता पूजनीय व वंदनीय होने के बाद भी सड़कों पर या कुदाघरो के पास कूड़ा खाते व भूख व प्यास से दम तोड़ती देखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ योगी जी के द्वारा कई सराहनीय योजनाएं बना कर निराश्रित गौ वंश के लिए सराहनीय कार्य किए जा रहे है।

ऐसे प्रयास भारत वर्ष के अन्य राज्यो में भी होने चाहिए।इसके बावजूद भी गौ माता को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है क्योंकि गौ माता को पशु की श्रेणी में रख गया है जबकि वेद व अन्य शास्त्र गौ माता को माता कहते है।पशु की श्रेणी में होने के कारण गौ माताओं है जो भी योजनाएं बनाई जाती है उसका सरकारी फंड पशु विभाग को जाता है। गौ माता का अलग मंत्रालय होना चाहिए।जो भी सरकारी योजनाएं गौ माता के लिए बनाई जाए उसका संचालन इसी मंत्रालय द्वारा किया जाना चाहिए।

गौ माता को सम्मान दिलाने हेतु भारतीय गौ क्रांति मंच गौ माता को राष्ट्रीय माता (Mother The Nation) व उत्तर प्रदेश में लोक परमार्थ सेवा समिति गौ माता को राज्य माता का दर्जा मिले इसके लिए निरंतर प्रयासरत है। भारतीय गौ क्रांति मंच नई दिल्ली के राम लीला मैदान में वर्ष 2014 2016 व 2018 में बड़ी रैलियां भी कर चुके है वहीं उत्तर प्रदेश में लोक परमार्थ सेवा समिति पत्रों के माध्यम से कई साधु संतो के आशीर्वाद समर्थन से व कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से गौ माता को राज्य माता का दर्जा उत्तर प्रदेश सरकार दे इसके लिए निरंतर प्रयास जारी रखे है।

समिति समय समय पर हरिनाम कीर्तन कराकर गौ माताओं को 56 भोग अर्पण कर गौ कथा का आयोजन कराकर भगवान राधा कृष्ण के चार ओ में निरंतर अपनी हाजिरी लगती है। इसके अलावा समिति ने पोस्ट कार्ड अभियान चलाकर आमजनों के साथ साथ साधु संतो से भी पत्र लिखवाए है।समिति ने श्री धाम वृंदावन में 30 अगस्त 2021 को चंद्रोदय मंदिर की गौ शाला में गौ माता को 56 भोग अर्पण कर भगवान राधा कृष्ण के चरणों में प्राथना की थी कि उत्तर प्रदेश सरकार गौ माता को राज्य माता का दर्जा प्रदान करे।

समिति लगातार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जो कि स्वयं महान गौ भक्त बताते हुए मांग कर रहे है कि वे भगवान राधा कृष्ण की कृपा से जल्द गौ माता को राज्य माता का दर्जा देकर सनातन प्रेमियों व गौ सेवको खुशी देने का काम करेगे। गौमाता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है।

मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूंछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है। गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जुघ्ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है।

गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं। गोपाष्टमी के दिन गाय का पूजन करके उनका संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जिस घर में गौपालन किया जाता है उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गौमाता ही दिलाती है। मरने से पहले गाय की पूंछ छूते हैं ताकि जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिले।लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है।

वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोक कर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है। गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है। 3. सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। मतलब यह कि गाय (Mother The Nation) के दूध, मूत्र और गोबर में सोना मिला होता है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं। अभी हमने कोरोना काल में आक्सीजन गैसे की किल्लत झेली है जबकि एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु होते हैं।

यह जीवाणु खेतों के बहुत से कीटाणुओं को मार कर खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं हरित क्रांति से पहले खेतों को गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जाता था। पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है। पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है। पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है।

पंचगव्य से गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट कैंसर अस्पताल में 3 हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज हो चुका है। पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से पेटेंट भारत ने प्राप्त किए हैं। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं।स्वामी दयानंद सरस्वती कहते थे कि एक गाय अपने जीवन काल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।

ऐसे हजारों तथ्य है जो गौ महत्व के प्रमाण है। अब जबकि लगातार सनातन धर्म से जुड़े लोग गौ उत्थान के लिए केन्द्र से राष्ट्रमाता और योगी सरकार से राज्य माता का दर्जा मांग रहे है तो समय और गौ महत्व को देखते हुए सरकार को तत्काल इसकी घोषणा कर जनमांग पर अपनी मुहर लगानी चाहिए।

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