झीरम सियासत : जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को, कांग्रेस ने उठाये सवाल, भाजपा ने बताया बौखलाहट

झीरम सियासत : जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को, कांग्रेस ने उठाये सवाल, भाजपा ने बताया बौखलाहट

Jhiram politics: Justice Prashant Mishra Commission's report to the Governor, Congress raised questions, BJP told fury

Jhiram Politics

रायपुर/नवप्रदेश। Jhiram Politics : झीरम घाटी हमले की जांच रिपोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग ने शनिवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सौंप दिया। रिपोर्ट सौंपते ही प्रदेश में फिर झीरम पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सीधे तौर पर राज्य सरकार से रिपोर्ट छुपाने की बात कह रही है तो वहीं भाजपा न्यायिक जांच पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने को बौखलाहट करार दे रही है।

आयोग द्वारा राज्यपाल को झीरम घाटी हमले की जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद कांग्रेस ने आयोग और रिपोर्ट पर निशाना साधा है। रविवार को कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम झीरम कांड (Jhiram Politics) में पीड़ित परिवार के साथ प्रेसवार्ता ली। जिसमे मरकाम ने कहा कि झीरम नरसंहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना तय एवं मान्य प्रक्रिया का उलंघन माना है।

मरकाम की माने तो सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है। जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल लग गया, सवाल उठना लाजमी है। उन्होंने कहा कि आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट तैयार नही है इसमें समय लगेगा। लेकिन अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी ? यह भी शोध का विषय है। रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो सरकार से छुपाने की कोशिश की जा रही है।

Jhiram politics: Justice Prashant Mishra Commission's report to the Governor, Congress raised questions, BJP told fury
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वृहद न्यायिक आयोग के गठन की मांग

मरकाम ने कहा कि झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगो को खोया है। पीसीसी अध्यक्ष ने न्यायिक जांच आयोग के रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपे जाने पर आपत्ति जताई है। मोहन मरकाम ने पूरे प्रकरण में पूर्ववर्ती सरकार के साथ NIA की भूमिका को भी संदिग्ध बताते हुए राज्य सरकार से नए सिरे से जांच के लिए वृहद न्यायिक आयोग के गठन की मांग की है।

अधिवक्ता ने परम्परा का दिया हवाला

कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने पंरपरा का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट सीधे राज्य सरकार को सौंपा जाता है। सरकार रिपोर्ट को कैबिनेट में रखता है। जहां चर्चा के बाद रिपोर्ट (Jhiram Politics) पर एक्शन लेती है,जिसका एकाधिकार सिर्फ राज्य सरकार को है।उन्होंने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होने के कारण कार्रवाई का अधिकार उन्हें नहीं होता। ऐसे में राज्यपाल को तत्काल जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देना चाहिए। जिससे रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार उचित कार्रवाई कर सके।

राज्यपाल पर सवाल उठाना असंवैधानिक : कौशिक

भाजपा ने पलटवार करते हुए इसे कांग्रेस की बौखलाहट बताया। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस के सवाल उठाए जाने पर कहा कि प्रतिवेदन के विषय बदलने वाले नहीं है। कांग्रेस को जिस बात पर आपत्ति है, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच से बड़ी जांच हो नहीं सकती और उस पर ही ऊंगली उठाने का मतलब अविश्वास जाहिर करना है। जब केंद्र में यूपीए थी, तब एनआईए जांच की घोषणा की थी, उस पर भी कांग्रेस को विश्वास नहीं है। कौशिक ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख हैं। उन्हें ज्ञापन सौंपने से किसी तरह की आपत्ति दर्ज ही नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और दूसरे नेता विधानसभा में लगातार यह सवाल उठाते रहे हैं। जब जेब में सबूत था, तो यह उपयुक्त अवसर है कि जांच आयोग के समक्ष उसे प्रस्तुत करनी चाहिए जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।

रिपोर्ट सार्वजनिक हो : साय

इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि झीरम घाटी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट (Jhiram Politics) आने के बाद कांग्रेस की बौखलाहट से आश्चर्य है। जब कांग्रेस विपक्ष में थी,तब कहती थी कि जेब में सबूत है। अब रिपोर्ट आ गई, लेकिन सबूत नहीं दे पाए। अपने ही लोगों को न्याय दिलाने कुछ नहीं कर पाए। अब रिपोर्ट आ गई है, तो कांग्रेस की दिक्कत समझ के बाहर है। हम चाहते हैं कि न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक हो, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

राजयपाल को सौंपी गई रिपोर्ट

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट शुक्रवार को सौंपी गई। यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी। यह प्रतिवेदन 10 वाल्यूम और 4184 पेज में तैयार की गई है। यह आयोग छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा के अध्यक्षता में गठित किया गया था। जस्टिस मिश्रा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे तथा वर्तमान में आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश है। झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी। इस घटना की जांच के लिए आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था। उल्लेखनीय है कि बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के नेताओं सहित 31 लोगो की जान ले ली थी। 8 साल बाद रिपोर्ट आया है।

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