Kojagari Laxami Puja : शरद पूर्णिमा पर कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न...

Kojagari Laxami Puja : शरद पूर्णिमा पर कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न…

Kojagari Laxami Puja: How to please Goddess Lakshmi on Sharad Purnima

Kojagari Laxami Puja

Kojagari Laxami Puja : हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा का विशेष स्थान है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी उत्संव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रासपूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है।

चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में इस रात्रि अमृत की वर्षा करता है। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी धरती का भ्रमण करती हैं। जिस घर में मां लक्ष्मी का जागरण और पूजन होता है, उस घर में प्रवेश कर धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।

कोजागर पूजा का समय

  • कोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 05:20 पी एम
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 पी एम बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 पी एम बजे

कोजागरी पूर्णिमा का महत्व

कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Laxami Puja) के पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार मनाते हैं। इस तिथि पर मध्य रात्रि या निशिथ काल में पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और इस रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। देवी लक्ष्मी कोजागरी पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन-संपदा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती हैं। इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है। वो देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वी पर कौन जाग रहा है। जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके घर मां लक्ष्मी जरुर जाती हैं।

शरद पूर्णिमा की पूजन विधि

अश्विन मास की (Kojagari Laxami Puja) पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा का पूजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा पर विशेष रूप से चंद्रमा और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस दिन प्रातः काल में स्नान कर, व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर फलाहार व्रत रखने के बाद चंद्रोदय काल में पूजन किया जाता है। सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को धूप, दीप, गंगाजल आर्पित कर उनका आवाहन करें।

इसके बाद उन्हें रोली, लाल या गुलाबी रंग के फूल, वस्त्र, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। व्रत कथा और मां लक्ष्मी (Kojagari Purnima) के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मां लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी या तिल के तेल के 11 दीपक जलाएं और रात्रि जागरण करें। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य दे कर खीर का भोग लगाया जाता है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। ये आरोग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र

  • 1-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
  • 2- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
  • 3- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

डिस्क्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”

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