Uttarpradesh Government : सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी…
Uttarpradesh Government : समय-समय पर राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय कड़ी टिप्पणी करता रहा है लेकिन सरकारों के रवैैय्ये ने कोई सुधार देखने में नहीं आता। सरकारी मिशनरी अपने डररे पर ही चलते रहती है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को लेकर जो उदासीन रवैय्या अपना और विपक्षी दलों की मांग को अनसूना करते हुए इस घटना के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी ने जो हिल हवाला किया उससे सुप्रीम कोर्ट को स्वत: इस मामले को संज्ञान में लेना पड़ा और उत्तर प्रदेश सरकार को नसीहत देनी पड़ी।
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी (Uttarpradesh Government) में किसानों पर गाड़ी चढ़ाए जाने की जो घटना हुई थी। उसमें केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर आरोप लगा था और उसके खिलाफ थाने में एफआईआर की गई थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस ने पांच दिनों तक गृहराज्य मंत्री के बेटे को गिरफ्तार नहीं किया। जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को यह तल्ख टिप्पणी की यदि आरोपी किसी मंत्री का बेटा न होकर कोई आम आदमी होता तो क्या उसे भी इतनी छूट दी जाती?
सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ करने का सिलसिला शुरू किया है। सवाल यह उठता है कि जब देश में कानून सब के लिए बराबर है तो फिर नेताओं के बेटों को इस तरह की रियायत आखिर क्यों दी जाती है। यदि किसी आदमी के खिलाफ थाने में रिपार्ट दर्ज हो जाए तो पुलिस बगैर तपतीश के उस आरोपी को घर से उठाकर ले जाती है। यदि आरोपी फरार हो जाता है तो उस पर दबाव बनाने के लिए पुलिस आरोपी के परिजनों को भी थाने में ले जाकर बैठा देती है।
लेकिन यदि कोई वीआईपी आरोपी हो तो उस पर हाथ डालने से (Uttarpradesh Government) कानून के कथित लंबे हाथ कांपने लगते हैं। ऐसे आरोपियों को जो चंद दिनों की मोहलत मिल जाती है इस दौरान वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सबुतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को भी डारा धमका कर या प्रलोभन देकर बरगला सकते हैं।
यदि ऐसे मामलों में कोर्ट दखल न दे तो पुलिस ऐसे प्रभावी आरोपियों को न जाने और क्या-क्या रियायत दे दें। सुप्रीम कोर्ट की इस कड़ी टिप्पणी से पुलिस को सबक सिखना चाहिए और राजनीतिक दबाव को नजरअंदाज कर ईमानदारी पूर्वक अपने कत्र्तव्य का निर्वहन करना चाहिए।
अन्यथा लोगों का विश्वास कानून से उठने लगेगा और पुलिस की छवि जो पहले ही काफी हद तक खराब हो चूकी है वह पूरी तरह खत्म हो जाएगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस ऐसे गंभीर मामलों में पूरी दक्षता के साथ निष्पक्ष कार्रवाई करे। ताकि अदालत में मामला सही रूप से पेश हो और आरोपी को सजा मिले। अन्यथा पीडि़त पक्ष को न्याय नहीं मिल पाएगा।