हिन्दी दिवस : राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्पीकर ने दी शुभकामनाएं

हिन्दी दिवस : राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्पीकर ने दी शुभकामनाएं

Hindi Diwas: Governor, Chief Minister and Speaker gave best wishes

Hindi Divas

रायपुर/नवप्रदेश। राज्यपाल अनुसुईया उइके और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रदेश और देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

दरअसल, हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य कारण, देश में अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे पूरी तरह से हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पायेगा।

हिन्दी दिवस के अवसर पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा है कि राजभाषा हिन्दी अत्यंत समृद्ध, जीवंत और सहज प्रवाह की भाषा है। यह देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हिंदी भाषा का महत्व बताना चाहिए और इसे बोलने पर हमको गर्व होना चाहिए। अपनी सुगमता के कारण ही हिंदी देश ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय है। हिन्दी दिवस की देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हिन्दी दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “राजभाषा हिन्दी अत्यंत समृद्ध एवं जीवंत भाषा है, इसका स्वरूप समावेशी हैै और उसकी लिपि देवनागरी विश्व की सबसे पुरानी एवं वैज्ञानिक लिपियों में से है। यह निरंतर प्रवाहमान भाषा है।” हिन्दी का शब्द भंडार एक तरफ संस्कृत से तो दूसरी तरफ अनेक देशी-विदेशी भाषाओं के शब्दों से समृद्ध हुआ है।

बघेल ने कहा है कि हिन्दी के सहज ग्रहणीय भाषा होने के कारण इसने देश को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई है। हिन्दी के गुण उसे भाषा के दर्जे से ऊपर एक संस्कृति के रूप में प्रतिष्ठित करतेे हैं। हिन्दी भाषा आज जन-जन की भाषा बन गई है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत ने हिन्दी दिवस के अवसर पर देश सहित प्रदेशवासियों को शुभकामनायें ट्वीट के माध्यम से प्रेषित की है। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा – “एक डोर में सबको जो है बांधती,वह हिंदी है…. हर भाषा को सगी बहन जो मानती, वह हिंदी है।” सुप्रसिद्ध कवि नाटककार गिरिजाकुमार माथुर हिंदी को इस भारतभूमि की सम्पर्क भाषा के रूप में देखते हैं, जिसे रामानन्द से लेकर आज की पीढ़ी तक बोलती है। जय हिन्द जय हिंदी।

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