Heart Diseases In Kids: स्लो ग्रोथ के पीछे हो सकती है दिल की बीमारी…
नई दिल्ली। Heart Diseases In Kids: दिल की बीमारी से जूझ रहे लोग किन तकलीफों से गुज़रते हैं, इससे सब वाक़िफ हैं, अब सोचिए जो बच्चे दिल के मरीज़ बन जाते हैं, यह उनपर किस तरह का अत्याचार है। ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया ख़तरनाक वायरस से जूझ रही है, जो लाखों लोगों की मौत का कारण बन चुका है, बच्चो को दिल की बीमारी के जोखिम से बचाना होगा। बतौर पेरेंट्स, हमें इस बात का अहसास नहीं हो पाता कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ें बच्चों में दिल की बीमारी का संकेत हो सकती हैं।
दिल की बीमारी में वयस्क मुश्किल समय (Heart Diseases In Kids) से गुज़रते हैं, वहीं, जब बात बच्चों की आती है, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। दिल से जुड़ी कई समस्याएं हैं, जो बच्चों को प्रभावित कर सकती हैं। बच्चों में पहले से मौजूद हृदय रोगों में जन्मजात हृदय दोष और हृदय को प्रभावित करने वाले संक्रमण शामिल हैं। कोविड-19 के समय में, बच्चों को दिल से जुड़ी एक और जटिलता का सामना करना पड़ रहा है- MISC जो हृदय वाहिकाओं को प्रभावित करती है। कुछ हृदय रोग उम्र के साथ विकसित होते हैं, जैसे आमवाती हृदय रोग और कावासाकी रोग।
बच्चों में इन लक्षणो को न करें नज़रअंदाज़
बतौर पेरेंट्स बच्चों में दिल की बीमारी के कई ऐसे लक्षण होते हैं, जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता। किसी बीमारी का पता अगर शुरुआती स्टेज पर चल जाए, तो जल्दी रिकवरी की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। आइए नज़र डालें बच्चों में दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर:
- अनुचित ग्रोथ
- -स्तनपान करते वक्त माथे पर ज़रूरत से ज़्यादा पसीना आना।
- इसके अलावा भी बच्चों में दिल की बीमारी के कई आम लक्षण हैं, जिन पर मां-बाप को नज़र रखनी चाहिए।
- वज़न बढ़ने में दिक्कत
- सीने में दर्द
- तेजी से सांस लेने के पैटर्न, यहां तक कि आराम करते वक्त भी
- आसानी से थक जाना
- होंठों, ज़बान और नाखूनों का रंग हल्का नीला पड़ना
- लगातार सांस लेने में दिक्कत आना
दिल की बीमारी से जुड़े सामान्य संकेत जिन पर माता-पिता को नज़र रखनी चाहिए, वे हैं वज़न (Heart Diseases In Kids) बढ़ने में परेशानी, आराम करते समय भी तेज़ी से सांस लेना, आसानी से थक जाना और होंठ, जीभ या नाखून का नीला पड़ना। कुछ बच्चे सीने में दर्द की शिकायत भी कर सकते हैं। ऊपर दिए गए लक्षणों को समझना आसान है, लेकिन एक लक्षण ऐसा है जो अक्सर अनदेखा किया जाता है वह है लगातार सांस लेने में कठिनाई। माता-पिता सांस लेने की समस्या को हृदय संबंधी समस्या के बजाय सांस की समस्या के रूप में जोड़ते हैं। लेकिन अगर बच्चे को निर्धारित उपचार के बाद भी लगातार सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो माता-पिता को बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
Disclaimer:
लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।