7 Children Died : अस्पताल प्रबंधन की सफाई... स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा ? |

7 Children Died : अस्पताल प्रबंधन की सफाई… स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा ?

Death of 7 children: Cleanliness of hospital management... What did the health minister say?

7 Children Died

स्वास्थ्य मंत्री बोले- तथ्य उपलब्ध कराएं, कार्रवाई होगी, कलेक्टर ने भी तलब किए दस्तावेज

रायपुर/नवप्रदेश। 7 Children Died : बाल्य एवं शिशु रोग विभाग द्वारा संचालित जिला अस्पताल पंडरी के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में मंगलवार को एक ही दिन में 7 बच्चों की मौत की खबर अस्पताल प्रबंधन ने भ्रामक व तथ्यों से परे कहा। अस्पताल प्रबंधन ने बकायदा मीडिया को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि डॉक्टर्स सहित चिकित्सा सेवा में लगे सभी स्टॉफ दिन-रात सेवा में लगे रहते हैं, इन परिस्थितियों में इस तरह भ्रामक खबर से उनका मनोबल टूटता है।

केवल 2 बच्चों की मौत

जिला अस्पताल प्रबंधन (7 Children Died) ने सफाई देते हुए कहा कि नियोनेटल केयर यूनिट में मृत नवजात शिशुओं की संख्या केवल 2 है। पहले नवजात जिसकी मृत्यु हुई वह बेबी ऑफ केसरी धीमर (मेल चाईल्ड), दुर्ग जिले के सूरपा नामक स्थान से संबंधित है तथा दूसरा नवजात माना बस्ती निवासी बेबी ऑफ जानकी सिन्हा से संबंधित है।

उसका कहना है कि मंगलवार सुबह 8 बजे से 24 घंटे के दौरान केवल दो ही बच्चों की मौत हुई है। जबकि इससे उलट अस्पताल में अभी भी भर्ती बच्चों के परिजन ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने कल 6 से ज्यादा शवों को बाहर आते देखा है। डॉक्टर झूठ बोल रहे हैं।

दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा कि जिन दो शिशुओं की मृत्यु हुई है उनमें से पहला शिशु बेबी ऑफ केसरी धीमर 18 जुलाई को रात 1 बजे से भर्ती था और उसका वजन केवल 1.4 किलोग्राम, जन्म से ही अत्यंत कमजोर तथा भर्ती के दिन से ही वेंटिलेटर पर था। उसकी मृत्यु मंगलवार को शाम 6.30 बजे हुई। शिशु को अस्पताल द्वारा सभी आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया गया।

अभिभावकों को गंभीर स्थिति से अवगत कराया

जिला अस्पताल प्रबंधन (7 Children Died) का कहना है कि दूसरा शिशु बेबी ऑफ जानकी सिन्हा का था। माना बस्ती निवासी गर्भवती महिला जानकी सिन्हा पति घनश्याम सिन्हा को माना स्वास्थ्य केंद्र से रिफर कराकर परिजनों द्वारा जिला अस्पताल स्थित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में सोमवार की सुबह 7.45 भर्ती कराया गया जहां पर सुबह 9.12 मिनट पर उन्होंने एक शिशु (लड़का) को जन्म दिया। यह प्रसूता जानकी सिन्हा का चौथा बच्चा था।

जन्म के तुरंत बाद शिशु रोया नहीं और ना ही कोई प्रतिक्रिया दी। नवजात के दिमाग तक ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं होने के कारण उसे झटके आने लगे थे। पल्स भी बहुत कम था। अत: शिशु की गंभीर स्थिति को देखते हुए फौरन नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट/एनआईसीयू) में शिफ्ट किया गया जहां पर शिशु का उपचार जारी था।

नवजात की गंभीर हालत के बारे में उनके पिता घनश्याम सिन्हा को पूरी जानकारी दी गई थी। इसी दौरान मंगलवार 20 जुलाई को शाम 8 से 9 बजे के बीच शिशु की उपचार के दौरान ही मौत हो गई। शिशु की वास्तविक गंभीर स्थिति से अवगत होने के बाद भी परिजनों द्वारा जिला अस्पताल में हंगामा किया गया तथा मीडिया को बुलाकर अराजक स्थिति निर्मित की गई।

अक्सीजन कमी की बात को नकारा

जिला अस्पताल प्रबंधन (7 Children Died) ने अक्सीजन की कमी की बात को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु इकाई में उस समय 7 शिशु वेंटिलेटर पर थे और अन्य 15 ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। इनमें से किसी भी शिशु की मृत्यु नहीं हुई है। अत: ऑक्सीजन की कमी की बात पूरी तरह असत्य है।

अस्पताल प्रबंधन ने लगाया महंगा इंजेक्शन

गरियाबंद से शिशु की मौत की बात अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ये पूरी तरह असत्य है। गरियाबंद से किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है बल्कि गरियाबंद से आये शिशु के लिये अस्पताल द्वारा 10 हजार रुपये मूल्य की दवा सर्फेक्टेंट उपलब्ध करवाया था। इसके बावजूद भी नवजात शिशु के पिता द्वारा नशे में धुत होकर परिसर में हंगामा किया गया।

नवजात की मृत्यु के बाद उनके परिजनों द्वारा अस्पताल परिसर में जिस प्रकार की अशांति का वातावरण निर्मित किया गया उससे गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती बाकी नवजातों के परिजन भी घबरा गए और उनके द्वारा भी अपने-अपने नवजातों को देखने की जिद करने की बात सामने आई।

स्वास्थ्य मंत्री बोले- तथ्य उपलब्ध कराएं, कार्रवाई होगी

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस पर कहा कि मामले की विभागीय जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। अभी तक के जो तथ्य आए हैं, उसके मुताबिक कल दो बच्चों की मौत हुई है। वह भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं। ऑक्सीजन की कमी होती, तो दूसरे बच्चे भी प्रभावित होते। जो लोग यह बता रहे हैं कि उन्होंने और शव देखे हैं, वे तथ्य उपलब्ध कराएं। मृत बच्चों के परिजन की जानकारी दें। अगर बात सही पाई गई, तो अस्पताल पर कार्रवाई होगी।

कलेक्टर भी पहुंचे जिला अस्पताल

रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार आज दोपहर बाद जिला में पहुंचे। उन्होंने नवजात शिशु वार्ड में मौजूद डॉक्टरों से बातचीत कर स्थिति को समझा। इस दौरान उन्होंने कर्मचारियों से भी बात की। बताया जा रहा है कि कलेक्टर ने दस्तावेज भी तलब किए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर को 7 बच्चों की मौत के आरोपों की जांच का जिम्मा सौंपा है।

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