छत्तीसगढ़ में अब मछुआरों को भी मिलेगा उत्पादन बोनस, 20 हेक्टेयर तक के जलक्षेत्र वाले एनीकट में…
- कृषि एवं जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राज्य की
- नवीन मछली पालन नीति बनाने के लिए गठित समिति ने की अनुशंसा
रायपुर । मुख्यमंत्fishermen will also get production bonus in Chhattisgarh: री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित समिति की बैठक आज कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में उनके रायपुर स्थित निवास कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक में नवीन मछली पालन नीति में राज्य के मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने की अनुशंसा की गई है। उत्पादकता बोनस राज्य के जलाशयों को पट्टे पर दिए जाने से होने वाली आय का 40 प्रतिशत होगा, जो मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को दिया जाएगा।
नवीन मछलीपालन नीति में राज्य के ऐसे एनीकट, जिनका जलक्षेत्र 20 हेक्टेयर तक है, उन्हें मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर नहीं दिए जाने का प्रस्ताव समिति ने किया है। ऐसे एनीकट स्थानीय मछुआरों के मत्स्याखेट के लिए निःशुल्क उपलब्ध होंगे। मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशयों को मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर दिया जाएगा। आदिमजाति मछुआ सहकारी समिति, मछली पालन एवं मत्स्य विपणन के कार्य को कुशलतापूर्वक कर सकें, इसको ध्यान में रखते हुए आदिम जाति मछुआ सहकारी समिति में 30 प्रतिशत सदस्य मछुआ जाति के होंगे। समिति के उपाध्यक्ष का पद भी मछुआ जाति के लिए आरक्षित रहेगा।
नवीन मछली पालन नीति में समिति ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा अपने क्षेत्राधिकार के तालाबों/जलाशयों को अब 6 माह के बजाय 3 माह के भीतर आबंटन की कार्यवाही किए जाने का प्रस्ताव किया है। उक्त अवधि के बाद पंचायत की अनुशंसा के बिना नियमानुसार पट्टा आबंटन का अधिकार प्राधिकृत अधिकारी (जिले के क
लेक्टर) को होगा। मछली बीज की गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रमाणीकरण हेतु राज्य में मत्स्य बीज प्रमाणीकरण अधिनियम बनाया जाएगा, जो मत्स्य बीज उत्पादन हेतु निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करेगा। निजी क्षेत्र में अधिक से अधिक हेचरी एवं संवर्धन प्रक्षेत्रों के निर्माण को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य में उपलब्ध 50 हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र के जलाशय जिन्हें दीर्घावधि के लिए पट्टे पर दिया गया है, उन जलाशयों में केज कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन के लिए केज स्थापित करने हेतु अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र पट्टे पर दिया जाना प्रस्तावित किया गया है।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में मछुआरों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इस नीति का फायदा मछुआ जाति के लोगों और मछुआ सहकारी समिति को भी मिले इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा दिए जाने की घोषणा की गई है, ताकि मछली पालन में जुटे मछुआरों को सहकारी समितियों से ऋण एवं अन्य सुविधाएं मिल सके।
उन्होंने कहा कि समिति द्वारा किए गए प्रस्ताव को परीक्षण के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, सहकारिता एवं वित्त विभाग को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। संबंधित विभागों की अनुशंसा के अनुरूप नवीन मछली पालन नीति का अंतिम प्रारूप तैयार कर केबिनेट के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
बैठक में छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एम.आर. निषाद, समिति के सदस्य सर्वश्री राजेन्द्र कुमार धीवर, काशीराम निषाद एवं समलूराम निषाद, कृषि उत्पादन आयुक्त, डॉ. एम. गीता, कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ. एस. भारतीदासन, मछली पालन विभाग के संचालक श्री व्ही.के. शुक्ला, संयुक्त संचालक श्री नाग सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।