जिला अस्पताल में रात को डॉक्टर रहते हैं न स्टाफ, गंभीर मरीज बिना इलाज कराए ही लौट रहे
अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता उजागर
नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। रात को जिला अस्पताल में डॉक्टर मिलते हैं न स्टाफ। आपात स्थिति में इलाज करने आये हुए मरीजों को गम्भीर अवस्था में ही वापस लौटना पड़ रहा है। सिविल सर्जन बेखबर हैं।
जिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे हैं। प्रबंधन भी इन अव्यवस्थाओं से बेखबर है या फिर जानबूझ कर इसे नजरअंदाज करने में लगे हैं। ओपीडी में डॉक्टरों के बैठने का समय तय जरूर है परन्तु निश्चित नहीं है डॉक्टर कब बैठेंगे। वहीं रात को एक डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है शायद डॉक्टर को रात को बैठना उचित नहीं समझ रहे है जो अपनी जिम्मेदारी स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय के कंधों पर देकर चले जाते हं जिन्हें बकायदा यह कह दिया जाता है कि कोई भी गम्भीर मरीज आने पर तत्काल सिम्स रिफर कर दें। यही वजह है कि जिला अस्पताल में अधिकांश बेड खाली पड़े रहते हैं और सिम्स में मरीज को बेड खाली होने का इंतजार करना पड़ता है।
जिला अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को देखते हुए ही सीएमओ के पद से हटाकर डॉ. मधुलिका सिंह को पुन: जिला अस्पताल सीविल सर्जन की जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर उन्हें अस्पताल में फैली हुई व्यवस्था दिखाई नही दे रही है या वह नजर अंदाज कर रहे हैं। कल रात को ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सिविल लाइन पुलिस मारपीट के मामले मुलाहिजा कराने जब अस्पताल पहुंची तो एक स्टाफ , वार्ड बॉय मौजूद थे। जब डॉक्टर के संदर्भ में पूछने पर बताया कि डॉक्टर राउंड में है घण्टों इंतजार के बाद भी डॉक्टर के नहीं आने से सीएमओं को डॉ. प्रमोद महाजन, बीएमओ डॉ. मनोज जयसवाल मोबाइल के जरिये संपर्क किया तब कहीं आधे घण्टे बाद डॉक्टर अपनी कार से अस्पताल पहुंचे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉक्टर कर्मचारियों को सीखा पढ़ा कर जाते है यदि कोई आये और पूछे तो जवाब क्या देना है।