Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor Project : 132 किमी की दूरी कम, अब रायपुर–विजाग सफर सिर्फ 5 घंटे में
Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor Project
रायपुर और विशाखापत्तनम के बीच प्रस्तावित ग्रीनफील्ड हाईस्पीड (Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor Project) आर्थिक कॉरिडोर अब लाखों लोगों के जीवन, व्यापार और परिवहन प्रणाली में बड़ा परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की यह महत्वपूर्ण परियोजना कुल 16,482 करोड़ की लागत से विकसित की जा रही है।
इसके दिसंबर 2026 तक पूरा होने का लक्ष्य तय किया गया है। वर्तमान में दोनों शहरों के बीच दूरी लगभग 597 किमी है, जबकि नए कॉरिडोर के निर्माण के बाद यह घटकर 465 किमी रह जाएगी। इससे यात्रा समय 12 घंटे से घटकर लगभग 5 घंटे होने की उम्मीद है, जो परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी लाएगा।
यह कॉरिडोर (Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor Project) धमतरी, केशकाल, कांकेर (छत्तीसगढ़), नबरंगपुर, कोरापुट (ओडिशा) और अराकू, रामभद्रपुरम (आंध्र प्रदेश) से होकर गुजरेगा। नया मार्ग 6-लेन एक्सेस-नियंत्रित हाईवे होगा, जिसे 100 किमी/घंटा डिजाइन स्पीड के अनुसार विकसित किया जा रहा है।
यह न केवल पुराने नेशनल हाईवे-26 पर ट्रैफिक भार कम करेगा, बल्कि औद्योगिक माल ढुलाई, कोल-खनिज परिवहन, कृषि सप्लाई चैन और बंदरगाह संपर्क क्षमता में भी भारी सुधार लाएगा। इस मार्ग से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के औद्योगिक क्षेत्रों को सीधे विशाखापत्तनम पोर्ट और चेन्नई–कोलकाता कॉरिडोर से जुड़ने का लाभ मिलेगा।
परियोजना (Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor Project) के पूरा होने पर लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में कमी, ईंधन की बचत, वाहन घिसाव कम, अधिक माल परिवहन क्षमता और निर्यात प्रक्रिया तेज होने की संभावना है।
मालवाहक ट्रकों के लिए यह मार्ग विशेष रूप से लाभकारी साबित होगा, क्योंकि पहले जो यात्रा एक से डेढ़ दिन लेती थी, वह एक ही दिन में पूरी हो सकेगी। इससे परिवहनकर्ता कम समय में अधिक चक्कर लगा सकेंगे, जिसका सीधा आर्थिक लाभ छोटे–बड़े ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों तक पहुंचेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि मार्ग तैयार होने के बाद आसपास के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी। सड़क विकास से भूमि के मूल्य में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है और आगे भी यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है।
मेडिकल, शिक्षा, पर्यटन और औद्योगिक निवेश की पहुंच बढ़ने से रोजगार, व्यवसाय और स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आने की उम्मीद है। वेयरहाउसिंग, होटल–धाबा, MSME इकाइयाँ और कृषि वस्तुओं की मार्केट एक्सेस में सुधार ग्रामीणों के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है।
किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
रायपुर–विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा सिर्फ परिवहन क्षेत्र ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ढांचे में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला माना जा रहा है। भूमि अधिग्रहण एवं सड़क निर्माण के बाद प्रभावित क्षेत्रों में जमीन के मूल्य में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है।
स्थानीय किसानों के अनुसार परियोजना शुरू होने से पहले जहां जमीन की कीमत लगभग ₹15 लाख प्रति एकड़ थी, वही अब कई स्थानों पर ₹1.5 करोड़ प्रति एकड़ तक पहुँच गई है, जिससे ग्रामीण संपत्ति और निवेश क्षमता में वृद्धि हुई है।
व्यापारिक दृष्टि से भी यह मार्ग लाभकारी माना जा रहा है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि दूरी और यात्रा समय घटने से ईंधन, मेंटेनेंस और टायर घिसाव पर होने वाला खर्च कम होगा, जिसके चलते परिचालन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। फिलहाल डेढ़ दिन में पूरी होने वाली यात्रा प्रस्तावित कॉरिडोर के शुरू होने पर मात्र कुछ ही घंटों में संभव हो सकेगी, जिससे लॉजिस्टिक चक्र तेज होगा और माल ढुलाई की संख्या प्रतिदिन बढ़ सकेगी।
मार्ग के सक्रिय होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, वेयरहाउसिंग, होटल-ढाबा व्यवसाय और ट्रांसपोर्ट आधारित रोजगार में वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कृषि उत्पादों की मार्केट तक सीधी पहुंच बढ़ेगी और ग्रामीण आय में दीर्घकालिक बढ़ोतरी दिखाई दे सकती
