संपादकीय: घुसपैठ को लेकर सुको की कड़ी टिप्पणी
Editorial: भारत में बढ़ती घुसपैठियों की संख्या को लेकर केन्द्र सरकार ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी है। जिन राज्यों में चुनाव आयोग एसआईआर करा रहा है वहां से घुसपैठिये खुद ही पलायन कर रहे हैं। इसके साथ ही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में वहां की योगी सरकार ने घुसपैठियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है।
लखनऊ, मेरठ, कानपुर और आगरा सहित यूपी के 17 बड़े शहरों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की सघन जांच पड़ताल की जा रही है और इन घुसपैठियों के लिए उत्तरप्रदेश के सभी जिलों में अस्थाई डिटेंशन सेन्टर खोल दिये गये हैं ऐसे प्रत्येक डिटेन्शन सेन्टरों में लगभग पंद्रह हजार घुसपैठियों को रखा जाएगा और बाद में उन्हें उनके देश खदेड़ दिया जाएगा।
उत्तरप्रदेश की तरह ही बिहार में भी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान छेड़ा गया है और अवैध कब्जा करके जिन घुसपैठियों ने अपनी बस्ती बसा रखी है उनके खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही शुरू की गई है। घुसपैठियों के खिलाफ की जा रही इस कार्यवाही को लेकर कुछ संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके मांग की है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरणार्थी घोषित किया जाए और उन्हें भारत से न निकाला जाये। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है कि इस देश में घुसपैठियों को अभी शरणार्थी घोषित नहीं किया गया है इसलिए उन्हें देश को छोडऩा ही पड़ेगा। घुसपैठियों को किसी भी तरह का कोई कानूनी अधिकार नहीं दिया जा सकता।
भारत के संसाधनों पर भारतीयों का ही हक है हम कालीन बिछाकर घुसपैठियों का स्वागत नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की इस कड़ी टिप्पणी के बाद अब केन्द्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें जहां घुसपैठियों की संख्या ज्यादा है वहां घुसपैठियों के खिलाफ अभियान और तेज होगा। एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग पांच करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये वर्षों से रह रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा संख्या बंगाल और असम है। असम में तो खैर वहां की राज्य सरकार घुसपैठियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर रही है लेकिन बंगाल में घुसपैठियों को संरक्षण देने वाली वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है।
वे तो एसआईआर का ही प्रबल विरोध कर रही हैं क्योंकि एसआईआर की कार्यवाही के दौरान हजारों की संख्या में बंग्लादेशी घुसपैठिये अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं। इससे ममता बनर्जी बौख्रलाई हुई है क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इन रोहिंग्या और बांग्ब्लादेशी घुसपैठियों को तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा कर इन्हें अपना वोट बैंक बना रखा है। बहरहाल अब केन्द्र सरकार ने तय कर लिया है कि भारत को धर्मशाला नहीं बनने देंगे और एक-एक घुसपैठिये को चुन-चुनकर देश से बाहर करेंगे। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद तो यह अभियान अब और तेज होगा भले ही ममता बनर्जी सहित अन्य विपक्षी पार्टियां इसे लेकर विधवा विलाप करती रहें।
