SECL Land Scam : सीबीआई पहुंची सीमांकन कराने, राजस्व अमले ने किया हस्ताक्षर से इंकार

SECL Land Scam

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केंद्र सरकार के उपक्रम एसईसीएल की दीपका मेगा परियोजना (SECL Land Scam) में लगभग 100 करोड़ रुपये के जमीन अधिग्रहण घोटाले की जांच तेजी पकड़ चुकी है। शुक्रवार को सीबीआई की टीम ने अचानक दबिश देकर परियोजना कार्यालय में दस्तावेजों की छानबीन की। साथ ही अधिग्रहित भूमि में गड़बड़ी और फर्जी मुआवजा भुगतान की जांच के तहत संबंधित गांवों में सीमांकन (Demarcation) भी कराया।

दीपका कोयला खदान के लिए एसईसीएल ने वर्ष 2013 में मलगांव की जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की थी। उस समय न तो गांव खाली कराया गया था और न ही मुआवजा दिया गया था। वर्ष 2023 में खदान विस्तार के लिए जमीन की जरूरत पड़ते ही अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की गई। इसी दौरान मलगांव के प्रभावितों को मुआवजा वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया।

बताया गया कि अधिसूचना के समय गांव में 152 वास्तविक परिवार थे। इसके बाद छोटे-छोटे हिस्सों में जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई और राजस्व व एसईसीएल अधिकारी मिलकर उतने ही फर्जी भू-विस्थापितों का रिकॉर्ड तैयार कर लिया। लगभग 100 करोड़ रुपये का भुगतान इसी तरह किया गया। प्रभावित ग्रामीणों ने 2024 में सीबीआई रायपुर में शिकायत की थी।

सीबीआई की छह सदस्यीय टीम शुक्रवार को सीधे मलगांव पहुंची। हरदीबाजार के तहसीलदार अभिजीत राज भानु, राजस्व निरीक्षक व पटवारी को मौके पर बुलाया गया। टीम ने मौजूदा राजस्व नक्शा के आधार पर गांव का सीमांकन कराया। सीमांकन के बाद जब सीबीआई अधिकारियों ने राजस्व अमले से हस्ताक्षरयुक्त पंचनामा तैयार करने को कहा, तो अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि विधिवत आवेदन आने पर ही हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।

इसके बाद सीबीआई टीम एक सप्ताह बाद दोबारा आने की बात कहकर लौट गई। अभी तक मामले में FIR दर्ज नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि अपराध दर्ज करने के बाद टीम एक बार फिर सीमांकन और दस्तावेज जब्ती को आगे बढ़ाएगी।

एसईसीएल और राजस्व अधिकारी जांच के दायरे में

इस घोटाले की प्रशासनिक जांच पहले ही हो चुकी है। 152 मुआवजा पत्रक तैयार कर राशि के बंदरबांट की पुष्टि हुई थी। प्रशासन ने एसईसीएल को आगे भुगतान रोकने के लिए पत्र भेजा है। घोटाले में एसईसीएल अधिकारी, राजस्व विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी और कुछ ग्रामीण—सब जांच के दायरे में हैं।