Gandhi Family INDIA Alliance : बिहार में मिली करारी हार के बाद अब गांधी परिवार खत्म करना चाहता है INDIA गठबंधन!
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक (Gandhi Family INDIA Alliance) को लेकर बड़ी राजनीतिक हलचल मची हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि कांग्रेस नेतृत्व, विशेषकर गांधी परिवार, अब INDIA गठबंधन को समाप्त करने के पक्ष में है। हालांकि कांग्रेस ने इन खबरों को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा था कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा, ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाए रखना रणनीतिक रूप से लाभदायक नहीं रह गया है। पार्टी के अंदर से यह भी सूचना आई कि भले ही केंद्र स्तर पर गठबंधन कमजोर पड़ रहा हो, लेकिन कई राज्यों में परिस्थितियों के अनुसार चुनावी साझेदारियाँ जारी रहेंगी।
(Gandhi Family INDIA Alliance) कांग्रेस का आधिकारिक खंडन
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने जारी बयान में स्पष्ट कहा कि पार्टी INDIA ब्लॉक को खत्म करने की किसी भी तरह की कोशिश नहीं कर रही। उन्होंने मीडिया में फैल रही अफवाहों को पूरी तरह गलत और निराधार बताया।
बिहार चुनाव के नतीजों ने हिलाया गठबंधन
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में INDIA ब्लॉक का बेहद कमजोर प्रदर्शन रहा।
243 सीटों में से NDA ने 202 सीटें जीत लीं, जबकि RJD–कांग्रेस महागठबंधन केवल 35 सीटों पर सिमट गया।
कांग्रेस की हालत और भी खराब रही, जो गठबंधन की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि सीट बंटवारे में असहमति, नेतृत्व का भ्रम और स्पष्ट चुनावी प्लान की कमी ने बची-खुची एकजुटता भी कमजोर कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता NDA की जीत का मुख्य कारण मानी जा रही है।
INDIA गठबंधन की पृष्ठभूमि
INDIA गठबंधन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) वर्ष 2023 में गठित हुआ था, जिसका उद्देश्य केवल BJP को चुनावी चुनौती देना ही नहीं, बल्कि एक मजबूत वैकल्पिक राजनीति प्रस्तुत करना भी था। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 234 सीटें जीतकर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि भाजपा 240 सीटों पर सिमट गई और NDA 293 सीटों के साथ बहुमत में रहा। INDIA ब्लॉक की मजबूती ने विपक्ष को नई पहचान दी थी, लेकिन बिहार चुनाव के ताजा नतीजों के बाद इसकी दिशा और राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
