संपादकीय: बिहार में चुनाव आयोग की नई पहल

संपादकीय: बिहार में चुनाव आयोग की नई पहल

Election Commission's new initiative in Bihar

Election Commission's new initiative in Bihar


Editorial: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा की चुनाव के कार्यक्रम घोषित कर दिये हैं। बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को चुनाव कराएगा और इसके नतीजे 14 नवंबर को घोषित किये जाएंगे। चुनाव की तारीखों का एलान होते ही बिहार में आदर्श चुनाव आचार सहिंता लागू हो गई है। अब बिहार सरकार कोई भी लोकलुभावन घोषणा नहीं कर पाएगी। वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव कार्यक्रम होने के पूर्व ही कई तरह की लोकलुभावन घोषणाएं कर दी थी और इनमें से कई पर अमल भी कर दिया था ताकि मतदाताओं का मनमोहा जा सके।

बहरहाल अब ऐसी घोषणाओं पर विराम लग गया है अलबत्ता सभी राजनीतिक पार्टियां अपने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं करने के लिए स्वतंत्र हैं। बिहार के चुनावी इतिहास में यह पहली बार होगा कि यह संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया सिर्फ 40 दिनों में पूरी हो जाएगी। इसके पूर्व 47 से 60 दिनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी होती थी। बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए बिहार में दो चरणों में मतदान कराने का फैसला लिया गया है। हालांकि एनडीए ने एक ही चरण में मतदान कराने की मांग की थी लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी यह मांग नहीं मानी।

एनडीए और आईएनडीआईए दोनों ने ही बिहार में मतदान दीपावली और छठ पूजा के बाद कराने की मांग की थी जिसे चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया और छठ पर्व के आठ दिन के बाद पहले चरण का मतदान कराने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग ने येन चुनाव के पूर्व बिहार की मतदाता सूची का भी गहन परीक्षण रिकॉर्ड समय में संपन्न करा लिया था। जिसके तहत लगभग 47 लाख मतदाताओं के नाम काटे गये हैं। अब कुल 7.4 करोड़ पंजीकृत मतदाता ही मतदान करेंगे। चुनाव आयोग की मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष ने बड़ा बवाल खड़ा किया था और इसमें भारी गड़बड़ी करने के आरोप लगाये थे।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो इसके लिए बाकायदा सोलह दिनों की वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली थी और चुनाव आयोग तथा केन्द्र सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए वोट चोर गद्दी चोर का नया नारा भी गढ़ा था जिसका चुनाव आयोग ने सिलसिलेवार जवाब भी दिया था। बहरहाल बिहार में वोट चोरी का मुद्दा टांय-टांय फिस हो गया है। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने विपक्ष के बेबुनियाद आरोपों को मद्देनजर रखकर बिहार में पूर्ण पारदर्शिता के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए 17 नई पहल की है जो आगे चलकर पूरे देश में लागू की जाएगी।

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ही सबसे महत्वपूर्ण नई पहल यह की गई है कि पहली बार ईवीएम में चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों की रंगीन फोटो भी होगी और बड़े बड़े अक्षरों में उनका नाम भी लिखा जाएगा ताकि मतदाताओं को अपने प्रत्याशी को पहचानने में आसानी हो इसके अलावा एक पोलिंग बूथ पर न्यूनतम आठ सौ से अधिकतम बारह सौ मतदाता ही मतदान करेंगे। इसके लिए पोलिंग बुथों की संख्या बढ़ाई जा रही है। जाहिर है इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा क्योंकि मतदाता आसानी के साथ मतदान कर पाएंगे और उन्हें मतदान केन्द्रों पर लंबी लाइन लगाकर घंटों प्रतिक्षा नहीं करनी होगी। इसके अलावा पहली बार यह व्यवस्था की गई है कि बूत के बाहर मतदाता अपना मोबाइल जमा करा सकेंगे और उम्मीदवारों के पोलिंग ऐजेंट बूथ के सौ मीटर बाहर तक अपनी टेबल लगा सकेंगे।

पहले यह दूरी 300 मीटर हुआ करती थी इससे भी मतदाताओं को मतदाता सूची में अपना नाम देखने में ज्यादा सहुलियत होगी। मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने जो 17 नई पहल की है वह निश्चित रूप से स्वागतेय कदम हैं जिससे मतदाताओं को मतदान करने में आसानी होगी और अब इसका असर मतदान पर पड़ेगा अब और ज्यादा से ज्यादा मतदान हो पाएगा। अब चूंकि बिहार में आदर्श आचार सहिंता लागू हो गई है तो चुनाव आयोग की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। आचार सहिंता का पालन कराना और इसका उल्लंघन करने वाली पार्टियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करना चुनाव आयोग के लिए बिहार जैसे राज्य में बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य सिद्ध होगा।

बिहार में चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता। पूर्व में बंगाल के बाद बिहार में ही सबसे ज्यादा चुनावी हिंसा की घटनाएं सामने आती रही है। इसलिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव के दौरान वहां सुरक्षा के चाकचौबंध इंतेजाम करना भी निहायत जरूरी है और खासतौर पर मतदान के दिन किसी अप्रिय घटना को रोकने लिए अधिक मुस्तैदी का परिचय देना होगा। चुनाव आयोग इस आशंका से वाकिफ है इसीलिए उसने बिहार में एक चरण की जगह दो चरणों में मतदान कराने का फैसला लिया है ताकि हर मतदान केन्द्रों में सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किये जा सके और पूरी चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्वक निपट सके।

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