Congress Internal Conflict in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में पायलट के सारे पायलट प्रोजेक्ट फेल हुए – भाजपा

Congress Internal Conflict in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में पायलट के सारे पायलट प्रोजेक्ट फेल हुए – भाजपा

Congress Internal Conflict in Chhattisgarh

Congress Internal Conflict in Chhattisgarh

Congress Internal Conflict in Chhattisgarh : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. विजयशंकर मिश्रा ने कांग्रेस में मचे अंदरूनी घमासान (Congress Internal Conflict in Chhattisgarh) पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट भी यहाँ के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं कर पा रहे हैं। डॉ. मिश्रा ने कहा कि सचिन पायलट के सारे पायलट प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ में जिस तरह एक-एक करके फेल हो रहे हैं, उससे यह साफ हो रहा है कि कांग्रेस नेतृत्वविहीन हो चली है और हर मौके पर यह पोल खुलती जाती है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मिश्रा ने कहा कि लगातार दौरे पर दौरे करके भी कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट एक तो अपने ही सामने बैठकों में नेताओं और कार्यकर्ताओं के आपसी संघर्ष को देखने के लिए विवश हैं; दूसरे, प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी तक की घोषणा तक नहीं करा पाए हैं। डॉ. मिश्रा ने कहा कि दो साल से ज्यादा हो गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज उधार की कार्यकारिणी के भरोसे प्रदेश कांग्रेस को चला रहे हैं।

इधर, पोलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पायलट के सामने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के खिलाफ जो मोर्चा खोला था, उस एजेंडे को पूर्व मंत्री रवीन्द्र चौबे ने आगे बढ़ाया, पर जिला अध्यक्षों की बैठक में बैज और बघेल समर्थकों में जिस तरह तलवारें खिंची, उससे स्पष्ट है कि प्रदेश कांग्रेस में अब ‘पीसीसी’ (प्रदेश कांग्रेस कमेटी) बनाम ‘बीसीसी’ (भूपेश कांग्रेस कमेटी) के बीच सत्ता-संघर्ष (Power Struggle in Chhattisgarh Congress) का नया दौर छिड़ गया है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में इस स्तर की सिर-फुटौव्वल चल रही है कि कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। कांग्रेस में जो द्वंद्व की स्थिति (Factional Fight in Chhattisgarh Congress) है, उससे प्रदेश के नेता ही निपट नहीं पा रहे हैं तो सचिन पायलट इन हालात में कैसे कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे और कैसे गुटीय संघर्ष की काजल-कोठरी में खुद को बेदाग व सुरक्षित रख पाएंगे, यह सवाल अहम है क्योंकि यह गुटीय घमासान एक तरह से कांग्रेस में राजनीतिक आपदा का रूप ले चुका है।

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