संपादकीय: घुसपैठ रोकने कड़े कदम आवश्यक

संपादकीय: घुसपैठ रोकने कड़े कदम आवश्यक

Strict steps are necessary to prevent infiltration

Strict steps are necessary to prevent infiltration

Strict steps are necessary to prevent infiltration: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम दौरे के दौरान एक बार फिर भारत में घुसपैठियों की बढ़ती संख्या पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि उनकी सरकार घुसपैठ की समस्या का समाधान करने के लिए कटिबद्ध है। भारत में अवैध रूप से रह रहे अवैध घुसपैठियों को जल्द ही देश से निकाला जाएगा। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के राज्यों असम बंगाल और त्रिपुरा में ही सर्वाधिक घुसपैठिए है। जो लंबे समय से वहां जमे हुए है और वहीं से वे बिहार तथा झारखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी फैल रहे हैं। इन घुसपैठिए को कुछ विपक्षी पार्टियां जो वहां सत्ता में है वे संरक्षण देती है और इन घुसपैठियों को अपना वोट बंैक बना लेती है।

बांग्लादेशी घुसपैठिएं तथा रोहिग्यां बड़ी संख्या में बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में तमाम सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इनके लिए राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज जुटाना चुटकी बजाने जैसा आसान काम हो गया है। इन घुसपैठिए के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र की डेमोग्राफी भी तेजी से बदल रही है। वहां के कई इलाकों में तो घुसपैठियों की संख्या 70 से 80 प्रतिशत हो चुकी है और वहां के स्थानीय लोग अल्प संख्यक बनकर रह गए है। नतीजतन वहां जातीय अस्मिता, भाषा और भूमि को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है।

इन घुसपैठिएं में से अधिकांश जरायम पेशा है। जो चोरी चकारी, गायों की तस्करी और ड्रग व्यापार में लिप्त रहते हंै। इन घुसपैठियों के कारण देश की आतंरिक सुरक्षा और समप्रभुता भी खतरे में पड़ रही है। भारत में 1971 से ही घुसपैठ की घटनाएं बढऩे लगी है। जब पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हुआ था।

उस समय लाखों की संख्या में शरणार्थी भारत आए थे और इनमें से अधिकांश आजतक वापस बांग्लादेश नहीं लौटे। उन्हें भारत में जो सुविधाएं और रोजगार के अवसर मिले उसे देखते हुए बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जो अभी तक बदस्तूर जारी है। इसकी एक बड़ी वजह भारत और बांग्लादेश की सीमा है। जो ना सिर्फ बहुत बड़ी है बल्कि इतनी जटिल है कि उसकी चौकसी नहीं हो पाती यही वजह है कि बांग्लादेशी और रोहिग्यां आसानी से भारत में घुसपैठ करने में सफल हो जाते हैं।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में घुसपैठियों की संख्या पांच करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। अब केन्द्र सरकार ने घुसपैठ की समस्या को गंभीरता से लिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से यह घोषणा की थी कि घुसपैठियों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने इसके लिए उन्होंने हाईपावर डेमोग्राफी मिशन लागू करने का ऐलान किया है। इसी क्रम में उन्होंने असम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए घुसपैठियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की बात कहीं है।

इससे यह उम्मीद बंधी है कि आने वाले समय में भारत को घुसपैठ की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। किन्तु इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करने होंगे। खास तौर पर भारत बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षित बाड़ बनानी होगी। ताकि वहां से घुसपैठिएं आसानी से भारत में घुसपैठ न कर पाए। इसके साथ ही घुसपैठिएं के खिलाफ कड़े कानून भी बनाने होंगे। दुनिया के कई देशों में यह कानून है कि यदि कोई घुसपैठ करता है तो उसे मौके पर ही गोली मार दी जाए। इसी तरह का कड़ा कानून भारत में भी बनाना होगा। तभी घुसपैठ की समस्या का समाधान हो पाएगा।

रही बात जो लोग अब तक करोड़ों की संख्या में भारत में घुसपैठ कर चुके है। उनकी पहचान कर उन्हें तत्काल देश से बाहर करने के लिए भी युद्ध स्तर पर अभियान चलाना होगा। इस मामले में असम सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है। वहां के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शरमा की सरकार असम की डेमोग्राफी बदलने वाले घुसपैठियों को पकड़ कर देश से बाहर कर रही है। केन्द्र सरकार को भी अनुसरण करना होगा और देशभर में घुसपैठियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाना होगा।

घुसपैठियों को सरंक्षण देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। तभी इस जटिल समस्या का समाधान हो पाएगा। अन्यथा भारत को धर्मशाला समझ कर यहां बेरोक-टोक घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी और रोहिग्यां हिन्दुस्तान को घुसपैठिस्तान बनाकर रख देंगे।

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