Single Teacher Schools Issue : सरकारी स्कूलों का हाल…! छत्तीसगढ़ के 1,207 स्कूलों में अभी भी पढ़ा रहा सिर्फ एक शिक्षक

Single Teacher Schools Issue : सरकारी स्कूलों का हाल…! छत्तीसगढ़ के 1,207 स्कूलों में अभी भी पढ़ा रहा सिर्फ एक शिक्षक

Single Teacher Schools Issue

Single Teacher Schools Issue

Single Teacher Schools Issue : प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गंभीर चुनौती सामने आई है। कम शिक्षक वाले स्कूलों में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद 1,207 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां बच्चों की पूरी पढ़ाई केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रही है। विभाग का दावा है कि समायोजन प्रक्रिया के बाद अब प्रदेश का कोई भी विद्यालय शिक्षक-विहीन नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि (Single Teacher Schools Issue) हजारों बच्चों की पढ़ाई पर भारी असर डाल रही है।

प्रदेश के 10,538 स्कूलों में कुल 16,165 शिक्षक और प्राचार्यों का पुनर्विनियोजन किया गया है। पहले 5,936 विद्यालय एकल-शिक्षकीय थे, लेकिन युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बाद यह संख्या घटकर 1,207 रह गई। विभाग का कहना है कि अब शिक्षक विहीन स्कूल नहीं हैं, परंतु इतने बड़े राज्य में 1,207 स्कूलों में केवल एक शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहा है।

शिक्षा विभाग ने बताया कि अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन विषयवार और पदस्थापना तिथि के आधार पर किया गया। यदि किसी संस्था में किसी विषय का शिक्षक अतिरिक्त पाया गया और उसी संस्था में किसी अन्य विषय का पद रिक्त था, तो आवश्यकता अनुसार समायोजन कर शिक्षकों की पदस्थापना की गई। इस प्रक्रिया में विषय, विकलांगता और परिवीक्षा अवधि जैसे पहलुओं को प्राथमिकता दी गई, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न आए और (Single Teacher Schools Issue) का समाधान किया जा सके।

अतिशेष शिक्षकों की गणना उनके मूल विषय के आधार पर की गई। युक्तियुक्तकरण के बाद जिन शिक्षकों ने नई जगह पदभार ग्रहण किया, उनके वेतन आहरण की प्रक्रिया पूर्व संस्था से प्राप्त अंतिम वेतन प्रमाणपत्र के आधार पर हो रही है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान प्राप्त अभ्यावेदनों और लंबित न्यायालयीन प्रकरणों का परीक्षण गंभीरता से किया जा रहा है। इन मामलों की जांच संभागीय आयुक्त समिति, संचालनालय स्तरीय समिति और शासन स्तरीय समिति के माध्यम से की जा रही है और शीघ्र ही निराकरण किया जाएगा।

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि एक शिक्षक पर पूरे विद्यालय का भार डालना बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में स्थित ऐसे विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना लगभग असंभव हो जाता है। अभिभावक भी शिकायत करते हैं कि विभागीय दावों और वास्तविकता के बीच अंतर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित कर रहा है।

विभाग ने भरोसा दिलाया है कि सभी लंबित मामलों का शीघ्र समाधान किया जाएगा और एकल-शिक्षकीय विद्यालयों की संख्या और कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल, (Single Teacher Schools Issue) प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बनी हुई है, जिसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है।

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