Amit Shah Praises Hemant Soren : झारखंड की सियासत में हलचल, शाह की सीएम सोरेन की तारीफ कर चौंकाया, रणनीति पर उठ रहे सवाल

Amit Shah Praises Hemant Soren
Amit Shah Praises Hemant Soren : झारखंड की राजनीति में अचानक बड़ा मोड़ आया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तारीफ कर सबको चौंका दिया। शाह ने एक इंटरव्यू में हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच इस्तीफा देने, कोर्ट से बरी होने और 2024 में उपचुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बनने की सराहना की। शाह ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान बताया। खास बात यह है कि उनका यह बयान तब आया है जब इसी मंच से उन्होंने राहुल गांधी और लालू यादव जैसे विपक्षी नेताओं की कड़ी आलोचना की थी। हाल ही में रांची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में अमित शाह और हेमंत सोरेन एक साथ मंच पर भी नजर आए थे।
पिछले बयानों से उलट रुख
अमित शाह का यह नया बयान उनके पुराने तेवरों से बिल्कुल अलग दिखता है। पहले वे कई बार सोरेन सरकार को “सबसे भ्रष्ट” करार दे चुके हैं और साहिबगंज व दुमका की रैलियों में उन्होंने सीधा हमला बोला था। लेकिन अब उन्होंने (Amit Shah praises Hemant Soren) को लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बताया है। जानकार मानते हैं कि इस बदलाव के पीछे भाजपा की नरमी और विपक्ष के साथ संवाद की नई राह तलाशने की मंशा हो सकती है।
सियासी मायने और रणनीति
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि शाह का यह बयान महज तारीफ नहीं बल्कि सियासी रणनीति का हिस्सा है। झारखंड में भाजपा और झामुमो के बीच कड़ा मुकाबला रहा है। ऐसे में शाह की यह नरमी विपक्ष के साथ तनाव कम करने की कोशिश हो सकती है। साथ ही यह कदम बिहार और झारखंड में भविष्य के गठबंधन की जमीन तैयार करने का संकेत भी माना जा रहा है, खासकर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए।
विपक्ष की धार को कुंद करने का प्रयास
फिलहाल कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष लगातार संसद में भ्रष्टाचार और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेर रहा है। ऐसे में शाह द्वारा सोरेन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की तारीफ विपक्ष की आक्रामकता को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह बयान विपक्षी नैरेटिव को कमजोर कर सकता है और भाजपा की छवि को नरम दिखाने की रणनीति का हिस्सा है।
हेमंत सोरेन के जवाब का इंतजार
अब सबकी निगाहें हेमंत सोरेन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। अभी तक उनकी ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि उनकी सरकार पहले भाजपा पर घुसपैठ को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। माना जा रहा है कि शाह की इस तारीफ से दोनों दलों के बीच तनाव कुछ हद तक कम हो सकता है और क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं।
बिहार-झारखंड की राजनीति पर असर
शाह का यह बयान सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार की सियासत को भी प्रभावित कर सकता है। बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन महागठबंधन से जूझ रहा है। ऐसे में शाह की यह रणनीति भविष्य के सियासी समीकरण बदलने और क्षेत्रीय दलों को साधने की दिशा में बड़ा कदम हो सकती है। राजनीतिक हलकों में अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बिहार और झारखंड में नए राजनीतिक समीकरण की शुरुआत है?
राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि शाह का यह बयान भाजपा की छवि को नए सिरे से गढ़ने और विपक्ष की धार को कमजोर करने की सोची-समझी चाल है। आने वाले दिनों में यह झारखंड और बिहार की सियासत पर गहरा असर डाल सकता है।