संपादकीय: विपक्ष का विरोध के बहाने शक्ति प्रदर्शन

संपादकीय: विपक्ष का विरोध के बहाने शक्ति प्रदर्शन

Opposition's show of strength under the pretext of protest

Opposition's show of strength under the pretext of protest

Editorial: चुनाव आयोग के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में आईएनडीआईए में शामिल सभी विपक्षी पार्टियों ने मोर्चा खोल रखा है। चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में धांधली करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गंाधी ने कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में पत्रकार वार्ता लेकर जो डाटा पेश किया था और चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाये थे उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर शक्ति प्रदर्शन संसद से चुनाव आयोग तक विपक्षी पार्टियों ने मार्च निकाला लेकिन उन्होंने जानबूझकर मार्च निकालने की दिल्ली पुलिस से अनुमति नहीं ली थी।

नतीजतन विपक्षी पार्टियों के इस मार्च को पुलिस ने रोक दिया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अनेक विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस दौरान विपक्षी पार्टी के नेताओं ने जमकर तमाशा किया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पुलिस द्वारा लगाये गये बैरिकेट्स को लांघ गये वहीं अन्य विपक्षी नेताओं ने सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

विपक्ष में इस विरोध प्रदर्शन के नाम पर शक्ति प्रदर्शन करने का पहले से ही मन बना लिया था और इसमें वे सफल रहे। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने विपक्षी पार्टियों के 30 सांसदों के प्रतिनिधि मंडल को एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चुनाव आयोग के दफ्तर में बुलाया था किन्तु विपक्ष के संासद लाव लाश्कर के साथ चुनाव आयोग जाना चाह रहे थे जिसकी वजह से उन्हें रोक दिया गया।

विपक्षी पार्टियां यही चाहती थी की उन्हें रोका जाये ताकि उन्हेें एक बार फिर सरकार पर तानाशाही करने का आरोप लगाने का मौका मिले। तभी तो विपक्षी नेता यह नारे लगा रहे थे कि मोदी जब जब डरता है तब तब पुलिस को आगे करता है। बहरहाल आईएनडीआईए के नेताओं ने इस विरोध प्रदर्शन के बाद अब पूरे देश में चुनाव आयोग के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने का विचार करना शुरू कर दिया है। सभी राज्यों की राजधानियों में चुनाव आयोग के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने की योजना बनाई जा रही है।

इससे विपक्ष को क्या हासिल होगा यह तो पता नहीं लेकिन आईएनडीआईए गठबंधन को एकजुट करने का मनोरथ जरूर पूरा होते नजर आ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में आईएनडीआईए गठबंधन को भले ही पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक सीटें मिली थी लेकिन सरकार तो एनडीए की ही बन गई थी। उसके बाद से आईएनडीआईए में दरार पडऩे लगी थी। पहले पहल आम आदमी पार्टी ने इस गठबंधन पार्टी ने इस गठबंधन से किनारा किया फिर तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी दूरी बनानी शुरू कर दी थी। जिससे आईएनडीआईए के टूटने की अटकलें लग रही थी लेकिन अब वह इस शक्ति प्रदर्शन के साथ फिर से मजबूत नजर आने लगा है।

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