संपादकीय: उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौकाने वाला

संपादकीय: उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौकाने वाला

Vice President's resignation is shocking

Vice President's resignation is shocking


Editorial: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अपने पद इस्तीफा देना निश्चित रूप से एक चौकाने वाली घटना है। भारत देश संसदीय इतिहास में संभवत: यह पहली बार हुआ है। जब संसद सत्र के चलते किसी उपराष्ट्रपति ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दिया हो। उपराष्ट्रपति संसद के सर्वोच्च सदन कहे जाने वाले राज्यसभा के सभापति भी होते हैं जो सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यूं अचानक स्वास्थगत कारणों ंसे इस्तीफा देना एक बड़ी राजनीतिक घटना है।

जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति होने के नाते मानसून सत्र के पहले दिन सदन का कामकाज सहज रूप से निपटाया उन्होंने राज्यसभा के लिए चुने गये नये सदस्यों को शपथ दिलाई। फिर उन्होंने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को उनके जन्मदिन की बधाई दी और सदन में चर्चा की शुरूआत भी कराई किन्तु विपक्ष के हंगामें के कारण दोपहर बारह बजे सदन की कार्यवाही दो घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ किसी तरह के तनाव में हैं। किन्तु दोपहर बाद वे सदन में ही नहीं आये और उनके स्थान पर उपसभापति हरिवंश ने सदन का संचालन किया।

देर शाम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया। जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह अपने खराब स्वास्थ्य को बताया है। किन्तु यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। नतीजतन जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि जगदीप धनखड़ हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान बेहोश हो गये थे और उन्हें तीन दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था। ऐसे में उनके स्वास्थगत कारणों की अनदेखी नहीं की जा सकती। वैसे भी उपराष्ट्रपति का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है। उन्हें कई बार आठ से दस घंटे तक सदन की कार्यवाही का संचालन करना पड़ता है। जहां तक जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्षी नेताओं के बयानों की बात है तो वे इसे चौंकाने वाला निर्णय बता रहे हैं।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का कहना है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा रहस्यमय है। वहीं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उन्होंने दबाव के चलते यह इस्तीफा दिया हो सकता है जो राजस्थान के लिए एक बड़ा झटका है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जगदीप धनखड़ के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की है। अभी तक तो राष्ट्रपति ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार्य नहीं किया है लेकिन जगदीप धनखड़ शायद ही अपना इस्तीफा वापस लेंगे। जगदीप धनखड़ किसी का दबाव कभी नहीं लेते हैं। जब वे बंगाल के राज्यपाल थे तब भी उन्होंने किसी भी तरह के दबाव के आगे झूकना स्वीकार्य नहीं किया था।

बाद में जब वे उपराष्ट्रपति बने तब भी वे एक अनुशासन प्रिय सभापति के रूप में राज्यसभा का संचालन करते रहें। इस बीच उन्हें कई बार अप्रिय स्थिति का सामना भी करना पड़ा किन्तु वे गलत बात कभी बर्दाशत नहीं करते थे। विपक्ष का सदस्य हो या सत्ता पक्ष का सदस्य वे किसी को भी फटकार लगाने में संकोच नहीं करते थे। एक बार तो टीएमसी के एक सांसद ने संसद परिसर में ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिकिरी करके उनका मजाक भी उड़ाया था। इस पर भी वे विचलित नहीं हुए थे ऐसे में यह नहीं लगता कि किसी दबाव में आकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया हो।

बहरहाल उनके इस्तीफे को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं और विपक्ष उनके इस्तीफे पर सवाल खड़े कर रहा है। अब तो यह जगदीप धनखड़ ही आगे चलकर इस बात खुलासा कर सकते हैं कि उन्होंने इस्तीफा देने का जो कारण बताया है वह कितना सही है। इस बीच धकखड़ के इस्तीफ के बाद गहमागहमी के चलते आज भी राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही में अवरोध आया है। उपराष्ट्रपति के इस्तीफेे के बाद अब उपसभपति ही राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे और जल्द से जल्द उपराष्ट्रपति पद का चुनाव भी कराया जाएगा। धनखड़ के इस्तीफेे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है।

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