संपादकीय: रेत माफियाओं के नाक पर नकेल कसना जरूरी

It is necessary to rein in the sand mafia
Editorial: छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्तीय भूपेश बघेल की सरकार के कार्यकाल के दौरान पूरे प्रदेश में रेते के अवैध खनन का गोरखधंधा पूरे शबाब पर था जिसके चलते रेत की कीमतों में ही वृद्धि नहीं हुई थी बल्कि रेत का कृत्रिम संकट भी खड़ा किया जाता था ताकि रेत के भाव असमान छू सके। इसके लिए पूर्ववर्तीय कांग्रेस सरकार ने रेत खदानों की संख्या भी सुनियोजित रूप से कम कर दी थी ताकि रेत माफियाओं को लाभ पहुंचाया जा सके और वे अवैध खनन करके चांदी काट सकें।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अब रेत माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए कारगर कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ के लिए जनहितैषी खनिज नीति लागू की गई है। रेत खनन नीति को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से अब रेत खदानों की संख्या में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है ताकि रेत की पर्याप्त आपूर्ति हो और प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्य प्रभावित न हो। इसके लिए सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया में भी तेजी लाने के लिए तीन समितियों का गठन किया है जबकि पूर्व में सिर्फ एक ही समिति थी जिसकी वजह से नदियों से रेत उत्खनन की प्रक्रिया शुरू करने में विलंब होता था गौरतलब है कि नदियों से रेत खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी अनिवार्य होती है।
अब एक अध्ययन में यह स्पष्ट हो गया है कि विधिवत और नियंत्रित रेत खनन करने से नदियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित खनिज नीति को लागू कर रही है जो स्वागत योग्य कदम है किन्तु अभी भी छत्तीसगढ़ में रेत माफिया सक्रिय है जो खनिज विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिली भगत करके रेत का अवैध उत्खनन डंके की चोट पर कर रहे हैं। साय सरकार को इन रेत माफियाओं की नाक में नकैल कसने के लिए भी कड़े कदम उठाने चाहिए।