“बेशक मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है, लेकिन माँ के जज़्बात कभी फीके नहीं पड़ते”: पद्मिनी कोल्हापुरे

“बेशक मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है, लेकिन माँ के जज़्बात कभी फीके नहीं पड़ते”: पद्मिनी कोल्हापुरे

“Of course my son has grown up now, but a mother’s feelings never fade”: Padmini Kolhapure

Of course my son has grown up now

मुंबई।: Of course my son has grown up now: सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का ऐतिहासिक धारावाहिक ‘चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ अपने शानदार प्रस्तुतीकरण और प्रभावशाली कहानी के जरिए लगातार दर्शकों का दिल जीत रहा है। यह शो भारत के महान बाल सम्राटों में से एक की प्रारंभिक यात्रा को भव्यता, संवेदनशीलता और भावनात्मक गहराई से प्रस्तुत करता है, साथ ही उन शक्तिशाली महिलाओं की भूमिका को भी उजागर करता है, जिन्होंने सम्राट के व्यक्तित्व को आकार दिया। इन्हीं में से एक प्रभावशाली किरदार है राजमाता का, जिसे पर्दे पर जीवंत कर रही हैं प्रख्यात अभिनेत्री और कालजयी कलाकार पद्मिनी कोल्हापुरे। उनकी

मजबूती, गरिमा और निःस्वार्थ मार्गदर्शन युवा सम्राट के व्यक्तित्व के निर्माण की रीढ़ बनते हैं।
अपने अभिनय कौशल के लिए प्रसिद्ध पद्मिनी कोल्हापुरे ने ‘राजमाता’ के किरदार को न सिर्फ एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक माँ के रूप में भी गहराई और आत्मा के साथ निभाया है। यह भूमिका उनके लिए बेहद व्यक्तिगत अनुभव बन गई, जिसने उनके मातृत्व की यादों को फिर से जीवंत कर दिया।

राजमाता के रूप में उनकी निःस्वार्थ शक्ति, मूक बलिदान और सुरक्षात्मक भावनाएँ उन्हें एक बार फिर माँ होने के गहन क्षणों की ओर लौटा ले गईं। पर्दे पर राजमाता और राजा के बीच का रिश्ता, यह एहसास कराते हुए कई बार उनके अपने बेटे के साथ संबंध की झलक देता है कि चाहे कोई शाही हो या सामान्य, मातृत्व हमेशा निःस्वार्थ प्रेम और शांत सहनशीलता पर ही टिका होता है।

अपने अनुभव को साझा करते हुए, पद्मिनी कोल्हापुरे ने कहा, “राजमाता की भूमिका निभाना मेरे लिए एक बेहद भावनात्मक और समृद्ध अनुभव रहा है। एक माँ जो साथ ही एक रानी भी है, यह संतुलन अपने आप में अत्यंत शक्तिशाली होता है। जब मैं राजमाता बनकर पर्दे पर साँस लेती हूँ, तो खुद-ब-खुद अपनी असल ज़िंदगी से जुड़ाव महसूस करने लगती हूँ। एक माँ की सुरक्षा भावना, उसका गहरा प्रेम और उसके त्याग, आप समझने लगते हैं कि ये भावनाएँ कितनी सार्वभौमिक और कालातीत हैं।

भले ही मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है, लेकिन मातृत्व की भावनाएँ कभी खत्म नहीं होतीं। वे बस विकसित होती हैं। इस भूमिका ने मुझे मेरे अपने मातृत्व के उन शुरुआती दिनों की याद दिला दी, जब हम बच्चों को दिशा देते हैं, उन्हें सँवारते हैं, कभी चिंतित होते हैं, लेकिन हमेशा प्यार करते हैं। इस किरदार ने मुझे मेरी अपनी यात्रा से नए सिरे से जोड़ा है। राजमाता की ताकत उसकी कोमलता में है और मुझे लगता है कि हर माँ इससे जुड़ाव महसूस कर सकती है।”

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