संपादकीय: कोविड-19 वैक्सीन को क्लीन चिट

संपादकीय: कोविड-19 वैक्सीन को क्लीन चिट

Clean chit to Covid-19 vaccine

Clean chit to Covid-19 vaccine

Clean chit to Covid-19 vaccine: देश में पिछले कुछ समय से हार्ट अटैक के कारण लोगों के मौत के मुंह में समाने की घटनायें तेजी से बढ़ी है। पहले उम्रदराज लोगों को ही हार्ट अटैक हुआ करता था लेकिन पिछले दो-तीन सालों से युवा भी हार्ट अटैक के शिकार बनने लगे हैं। इस साइलेन्ट किलर ने लोगों के दिल में खौफ भर दिया है। 20 से 30 साल के उम्र के लोग भी नाचते गाते या जीम में कसरत करते समय अचानक ही हार्ट अटैक के कारण काल के ग्रास बन जाते हैं।

कर्नाटक के हासन जिले में पिछले एक माह के भीतर 21 लोगों की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई जिनमें से कई लोगों की उम्र 20-25 साल के भीतर ही थी। इनमें अधिकांश लोगों को तो अस्पताल पहुंचना का भी समय नहीं मिला और हार्ट अटैक के कारण घर पर ही उनकी अचानक मौत हो गई। इसे लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं और उन्होंने कोरोना की वैक्सीन पर सवालिया निशान लगाया है।

पूर्व में भी कई लोगों ने हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं के लिए कोविड-19 वैक्सीन पर संदेह जताया था। गौरतलब है कि कोरोना काल के बाद से ही देश के विभिन्न राज्यों में ही बड़ी संख्या में लोगों को हार्ट अटैक होने लगा है। बहरहाल इस संदेह को दूर करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईसीएमआर और एम्स की संयुक्त टीम को इस पर रिसर्च करने के निर्देश दिये थे। इस जांच का नतीजा सामने आ गया है।

जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि कोरोना की वैक्सीन के कारण हार्ट अटैक से एक भी मौत नहीं हुई है। यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। इस खुलासे के बाद कोविड-19 वैक्सीन को लेकर संदेह दूर हो जाएगा। किन्तु हार्ट अटैक की बढ़ती घटनायें अभी भी अबूझ पहेली बनी हुई है। इसकी भी स्वास्थ्य मंत्रालय को उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। अब चूंकि कोरोना वैक्सीन को क्लीन चीट मिल चुकी है तो हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं के कारण तलाशे जाने चाहिए ताकि लोगों के मन से इस साइलेन्ट किलर के खौफ को कम किया जा सके।

चिकित्सकों के मुताबिक बदलती जीवनशैली, मानसिक तनाव और पर्यावरण संबंधी कारण भी लोगों के हार्ट अटैक की वजह हो सकते हैं। बहरहाल देश में हृदयाघात की बढ़ती घटनाएं गहन चिंता का विषय है। इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके कारणों का पता लगाना चाहिए ताकि कम उम्र में लोग हार्ट अटैक के कारण मौत के मुंह का निवाला बनने से बच सकें।

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